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Bastar Girls won Medals
Bastar Girls won Medals : बस्तर की माटी में जन्मी बेटियों ने एक बार फिर पूरे प्रदेश को गौरवान्वित कर दिया है। रायपुर जिले के बूढ़ातालाब में आयोजित अस्मिता लीग खेलो इंडिया कयाकिंग और कैनोइंग प्रतियोगिता में बस्तर की बेटियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 3 स्वर्ण, 2 रजत और 5 कांस्य पदक अपने नाम किए। यह उपलब्धि बस्तर के लिए गौरव का क्षण है, जिसने न केवल जिले बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को जलक्रीड़ा के क्षेत्र में नई पहचान दी है।
बस्तर की बेटियों का जल पर विजय अभियान
जगदलपुर उप-प्रशिक्षण केंद्र, बागमुंडा (डोंगरीपारा-आसना) की खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता में इतिहास रचा। महिलाओं की सीनियर और जूनियर दोनों श्रेणियों में बस्तर की प्रतिभाशाली बेटियों ने अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।
महिला सीनियर 1000 मीटर में मानमती बघेल ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि महिला जूनियर 1000 मीटर और 500 मीटर दोनों वर्गों में सोनम पुजारी ने दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। इसके अलावा मुस्कान भारती, कंचन, रोशनी, ईशा और मालती कश्यप ने रजत और कांस्य पदक जीतकर टीम के पदक तालिका को मजबूत किया।
कलेक्टर हरीश एस का मार्गदर्शन बना प्रेरणा
बस्तर की इस ऐतिहासिक सफलता का श्रेय जिला प्रशासन के निरंतर प्रोत्साहन और नेतृत्व को भी जाता है। कलेक्टर हरीश एस ने कहा कि “बस्तर की बेटियाँ अब जलक्रीड़ा जैसे चुनौतीपूर्ण खेलों में भी अपना लोहा मनवा रही हैं। यह केवल खेल की उपलब्धि नहीं, बल्कि बस्तर की नई पहचान का प्रतीक है।” उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्रशासन खिलाड़ियों को हर संभव सहयोग देता रहेगा, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा दिखा सकें।
कोचों की मेहनत ने दिलाई सफलता
इस सफलता के पीछे प्रशिक्षक अशोक साहू और प्रभारी कोटेश्वर राव नायडू की भूमिका भी अहम रही। दोनों ने खिलाड़ियों को कठोर प्रशिक्षण देकर प्रतियोगिता के हर चरण के लिए तैयार किया। अपर कलेक्टर और सहायक संचालक (खेल एवं युवा कल्याण) ऋषिकेश तिवारी ने कहा कि “बस्तर की बेटियों की मेहनत और अनुशासन ने पूरे प्रदेश को प्रेरणा दी है। प्रशासन खेल प्रतिभाओं के उत्थान और अवसरों के विस्तार के लिए निरंतर प्रयासरत है।”
बस्तर की अस्मिता और आत्मविश्वास की जीत
रायपुर के बूढ़ातालाब में जब विजेताओं की घोषणा हुई, तो बस्तर के कैंप में खुशी की लहर दौड़ गई। तालियों की गूंज ने उस पल को ऐतिहासिक बना दिया। यह जीत सिर्फ पदकों की नहीं थी, बल्कि यह बस्तर की अस्मिता, संघर्ष और आत्मविश्वास की जीत थी- एक संदेश कि बस्तर की बेटियाँ अब हर मैदान में अपनी पहचान दर्ज करा रही हैं।
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