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Bansal Positive News: टीचर गांव में बच्चों को पढ़ाने नहीं आते थे, ग्रामीणों ने मिलकर खुद ही स्कूल खोल दिया

Bansal Positive News: टीचर गांव में बच्चों को पढ़ाने नहीं आते थे, ग्रामीणों ने मिलकर खुद ही स्कूल खोल दिया Bansal Positive News: The teacher did not come to teach the children in the village, the villagers got together and opened the school themselves

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Bansal Digital Desk
Bansal Positive  News: टीचर गांव में बच्चों को पढ़ाने नहीं आते थे, ग्रामीणों ने मिलकर खुद ही स्कूल खोल दिया

भोपाल। कहते हैं जहां चाह, वहां राह। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है बालाघाट जिले के ग्रामीणों ने। इन ग्रामिणों ने यहां कुछ ऐसा किया कि हम भी आपको बताने से रोक नहीं पाए। यह कहानी है बालाघाट जिले के मोहनपुर पंचायत स्थित सोनेवाली गांव की। यहां ग्रामीण, स्कूल के शिक्षकों से काफी परेशान थे। वे बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हें बार-बार बुलाते थे। लेकिन कोई भी शिक्षक नहीं आता था। ऐसे में गांव के लोगों ने खुद ही स्कूल खोल दिया।

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शिक्षकों को गांव-गांव जाकर पढ़ाना था
गौरतलब है कि, कोरोना काल में जब अनलॉक शुरू हुआ तो सरकार ने 'अपना घर-अपना विद्यालय' योजना की शुरूआत की। इसके तहत सरकारी शिक्षकों को गांव-गांव पहुंचकर एक जगह पर बच्चों को एकत्रित करके पढ़ाना था। लेकिन, इस गांव में कोई भी शिक्षक पढ़ाने नहीं आया। ग्रामीणों ने प्रशासन से भी शिकायत की। इसका भी कोई असर नहीं हुआ। अंत में ग्रामीणों ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए खुद ही अपना स्कूल शुरू कर दिया। एक ग्रामीण ने अपने घर के तीन कमरे स्कूल के लिए दे दिए तो बाकी लोगों ने पैसे इक्कठा करके दो युवाओं को पढ़ाने के लिए रख लिया।

स्कूल में 31 बच्चे पढ़ते थे
बतादें कि लॉकडाउन से पहले ग्राम पंचायत मोहनपुर के सोनेवाली में संचालित प्राइमरी स्कूल कान्हाटोला में 31 बच्चे पढ़ने आते थे। जिसमें तीन गांव सोनेवाली, बैगाटोला और सुकलदंड के बच्चे शामिल थे। लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन बच्चों की पढ़ाई रूक गई। जैसे ही अनलॉक हुआ बच्चे एक बार फिर से पढ़ाई करने के लिए तैयार थे। लेकिन शिक्षकों का अता-पता नहीं था। ऐसे में परेशान होकर ग्रामीणों ने आपस में राय-मशविरा किया और गांव के ही एक व्यक्ति तुलसीराम अमूले ने अपने घर के तीन कमरे स्कूल के लिए निशुल्क दे दिए। इसके बाद गांव के बाकी लोगों ने दो युवक अंकुश कटरे और अतुल कटरे को पैसे देकर पढ़ाने के लिए रख लिया।

टीचरों के नहीं आने से बच्चे पढ़ाई से दूर जा रहे थे
ग्रामीणों का कहना है कि टीचरों के नहीं आने से गांव के बच्चे पढ़ाई से दूर जा रहे थे। ऐसे में हम उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते थे। हमने पहले प्रशासन से गुहार लगाई। लेकिन इसका कोई फायदा हमे नहीं मिला। तब जाकर हमने अपने स्तर पर स्कूल खोलने का फैसला किया। ग्रामिणों द्वारा स्कूल खोले जाने के बाद बच्चे एक बार फिर से पढ़ाई की ओर लौट गए हैं।

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आरोपियों पर होगी कार्रवाई
वहीं इस पुरे मामले पर आदिम जाति क्ल्याण विभाग के सहायक आयुक्त सुधांशु वर्मा का कहना है कि सरकार ने मोहल्ला कक्षाएं लगाने का फैसला किया था, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो। लेकिन प्राइमरी स्कूल कान्हाटोला में पदस्थ शिक्षक वहां क्यों नहीं पहुंच रहे हैं इसकी जांच की जाएगी। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने इस नेक काम के लिए ग्रामीणों की सराहना भी की।

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