(अनिसुर रहमान)
ढाका, 30 दिसंबर (भाषा) कोविड-19 के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच साल 2020 में बांग्लादेश की एक महत्वपूर्ण राजनयिक उपलब्धि भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को और मजबूत बनाना रही । कोरोना महामारी के कारण बांग्लादेश की प्राथमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के समक्ष गंभीर चुनौती उत्पन्न हुई और दक्षिण एशिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल इस देश को मंदी की स्थिति का सामना भी करना पड़ा ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 दिसंबर को अपनी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के साथ डिजिटल शिखर बैठक में बांग्लादेश को ‘पड़ोस प्रथम’ नीति का प्रमुख स्तम्भ करार दिया । वहीं, शेख हसीना ने भारत को ‘सच्चा मित्र’ बताया ।
प्रधानमंत्री मोदी की ढाका यात्रा पहले मार्च में होने वाली थी जो महामारी के कारण रद्द कर दी गई थी ।
दोनों नेताओं ने हल्दीबाड़ी और चिलाहाटी के बीच महत्वपूर्ण रेल सम्पर्को को बहाल किया जो 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद से बंद थे । इसके बाद दोनों देशों के बीच परिचालित रेल सम्पर्कों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है ।
साल 1947 में बंटवारे के बादे भारत और बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) के बीच सात रेल सम्पर्क परिचालन में थे ।
अब हल्दीबाड़ी और चिलाहाटी रेल सम्पर्क के परिचालन में आने के बाद बांग्लादेश के पर्यटकों को दार्जिलिंग, सिक्किम, दोआर के अलावा नेपाल और भूटान जाने में सहुलियत होगी ।
मोदी ने हसीना को आश्वस्त किया, ‘‘ महामारी के कारण यह चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा । लेकिन यह संतोष की बात है कि भारत और बांग्लादेश के बीच इस कठिन समय में अच्छा सहयोग रहा है । टीका के क्षेत्र में भी हमारा सहयोग अच्छा रहा । हम आपकी जरूरतों का विशेष ध्यान रखेंगे । ’’
शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, मोदी ने आश्वस्त किया था कि जब भी भारत में उत्पादन होगा, बांग्लादेश को टीका उपलब्ध कराया जायेगा ।
दोनों नेताओं ने इतिहास, संस्कृति, भाषा और विशिष्ट समानताओं पर आधारित द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति पर संतोष व्यक्त किया जो भारत और बांग्लादेश के गठजोड़ को परिभाषित करते हैं ।
विदेश सचिव हर्ष वर्द्धन श्रृंगला अगस्त में ढाका यात्रा पर गए और मार्च में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के बाद उनकी भारत से बाहर यह पहली यात्रा थी । श्रृंगला पूर्व में ढाका में भारत के उच्चायुक्त रहे ।
इससे पहले मार्च में अपनी यात्रा के दौरान श्रृंगला ने कहा था कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी. (एनआरसी) के उन्नयन का बांग्लादेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा । उन्होंने जोर दिया था कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से भारत के लिये आंतरिक रूप से जुड़ा विषय है।
समझा जाता है कि बांग्लादेश असम में एनआरसी लागू होने के बाद से क्षुब्ध था ।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन और गृह मंत्री असादुज्जमान खान ने नये नागरिकता विधेयक के पारित होने के बाद दिसंबर 2019 में अपनी भारत यात्राएं रद्द कर दी थी जिसमें धार्मिक प्रताड़ना के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ्र समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी ।
वहीं, सीमा सुरक्षा बल और बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड के बीच 51वीं महानिदेशक स्तर की बैठक दिसंबर में हुई जहां दोनों बलों ने संयुक्त वार्ता संधि पर हस्ताक्षर किये और अवैध गतिविधियां रोकने के लिये रात में समन्वित गश्त बढ़ाने का निर्णय किया ।
घरेलू मोर्चे पर बीमार पूर्व प्रधानामंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिला को मार्च में जेल से छह माह के लिए रिहा किया गया। उन्हें घर पर रहकर उपचार कराने के लिए छोड़ा गया। सितंबर में उनकी रिहाई की अवधि को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया।
बांग्लादेश की तीन बार प्रधानमंत्री रह चकुी खालिदा जिया बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं। वह भ्रष्टाचार के दो मामलों में फरवरी, 2018 से 17 साल की जेल की सजा काट रही हैं।
वर्ष 2020 में बांग्लादेश और चीन के संबंध भी विकसित हुए खास तौर पर वाणिज्य और आर्थिक मोर्चो पर इसमें वृद्धि हुई । चीन ने विकास सहयोगी के तौर पर बांग्लादेश के आधारभूत ढांचा से जुड़ी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सहयोग देने का वादा किया ।
बांग्लादेश मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि ढाका ने तीस्ता नदी समग्र प्रबंधन एवं पुनर्निर्माण परियोजना के विकास के लिये चीन से 1 अरब डालर का कर्ज मांगा है।
कोविड-19 महामारी के कारण बांग्लादेश की आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त हुई हालांकि बांग्लादेश साल 2020 में इस संकुचन से बचने में सफल रहा ।
वैश्विक स्वास्थ्य संकट का बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग पर प्रभाव पड़ा जो देश के जीडीपी का 11 प्रतिशत है और 44 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है ।
विश्लेषकों के अनुसार, बांग्लादेश ने उम्मीद से ज्यादा मजबूती से सुधार दर्ज किया ।
भाषा दीपक दीपक पवनेश
पवनेश