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Balod Raid: वन विभाग की बड़ी कार्रवाई, बालोद में लाखों की अवैध सागौन लकड़ी और फर्नीचर जब्त, माफिया पर गिरी गाज

Balod Forest Department Raid: छत्तीसगढ़ के बालोद में वन विभाग की बड़ी कार्रवाई में अवैध सागौन लकड़ी और फर्नीचर जब्त। लाखों की मशीनें भी सील। जांच जारी है।

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Shashank Kumar
Balod Forest Department Raid

Balod Forest Department Raid

Balod Forest Department Raid: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में वन विभाग की टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध रूप से संचालित हो रहे फर्नीचर निर्माण केंद्र का भंडाफोड़ किया है। दल्लीराजहरा वन परीक्षेत्र के अधिकारियों और उड़नदस्ता टीम की संयुक्त छापेमारी में लाखों रुपए की सागौन की लकड़ी, फर्नीचर और आधुनिक मशीनों को जब्त किया गया है। यह पूरा मामला प्रदेश में अवैध लकड़ी व्यापार के बढ़ते नेटवर्क की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

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गुप्त सूचना के आधार पर हुई कार्रवाई

वन विभाग को काफी समय से जानकारी मिल रही थी कि बालोद के कुछ ग्रामीण इलाकों में सागौन जैसी कीमती लकड़ी का अवैध भंडारण और उससे फर्नीचर निर्माण किया जा रहा है। इसी कड़ी में ग्राम घोठिया स्थित एक मकान में छापा मारा गया, जो विकास देवांगन नामक व्यक्ति के अधीन संचालित हो रहा था। विकास, जो ग्राम भैसबोड़ का निवासी है, ने सागौन की लकड़ी छुपाकर आलीशान फर्नीचर बनवाने का काम शुरू कर रखा था।

बड़ी मात्रा में बरामद हुआ लकड़ी और फर्नीचर

कार्रवाई के दौरान वन विभाग की टीम ने मौके से करीब 2.233 घन मीटर सागौन लकड़ी जब्त की, जिसमें 36 नग सागौन चिरान, 8 नग लठ्ठा, 1 बीजा लठ्ठा शामिल हैं। इसके अलावा लकड़ी से तैयार डायनिंग टेबल सेट, सागौन चौखट, सोफा सेट, दिवान और दरवाजे भी बरामद किए गए। वहीं, इन फर्नीचर को बनाने में उपयोग की जा रही तमाम मशीनें भी जप्त कर ली गई हैं।

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जब्त किए गए सभी लकड़ियों और सामग्रियों की कुल कीमत लगभग 2 लाख रुपए आंकी गई है। हालांकि, इस अवैध कारोबार की असली कीमत इससे कहीं अधिक होने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि इसमें कालेधन, टैक्स चोरी और पर्यावरणीय क्षति जैसे कई गंभीर पहलू जुड़े हुए हैं।

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जांच जारी, आगे हो सकती हैं और गिरफ्तारियां

दल्लीराजहरा रेंजर संतोष ठाकुर ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह छापेमारी एक महत्वपूर्ण सुराग के आधार पर की गई थी और इसकी जांच अब गहराई से की जा रही है। संभावना है कि इस अवैध नेटवर्क में और भी लोग शामिल हैं, जिनकी पहचान कर जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वन विभाग इस कार्रवाई को केवल शुरुआत मान रहा है और आने वाले दिनों में बालोद जिले समेत आस-पास के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की सघन छापेमारी की योजना बना रहा है। विभाग का कहना है कि वह न केवल अवैध लकड़ी व्यापार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम है।

क्यों सागौन की लकड़ी है संवेदनशील?

सागौन (Teak) की लकड़ी को भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। इसकी कटाई, भंडारण और व्यापार के लिए वैध अनुमति होना अनिवार्य है। इसके बावजूद देशभर में सागौन की तस्करी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह लकड़ी अपनी मजबूती, सुंदरता और उच्च कीमत के कारण फर्नीचर उद्योग में काफी लोकप्रिय है। इसी वजह से तस्करों की नजर इस पर सबसे ज्यादा होती है।

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पेड़ों की कटाई नहीं, संरक्षण की है जरूरत

यह घटना केवल एक अवैध फर्नीचर फैक्ट्री का मामला नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी है कि यदि हम अब भी नहीं चेते, तो प्राकृतिक संसाधनों का यह दोहन हमें भारी कीमत चुकवाएगा। वन विभाग की यह कार्रवाई न केवल कानून की जीत है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि अब अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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