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Balaghat MLA vs DFO: कांग्रेस विधायक मुंजारे ने पूर्व मंत्री पर लगाया उकसाने का आरोप, बोलीं- उनके कहने पर चल रहीं DFO

बालाघाट में कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे और DFO नेहा श्रीवास्तव आमने-सामने हैं। तीन लाख की मांग और धमकी के आरोप के बीच मामला राजनीतिक रंग पकड़ चुका है।

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Bansal news
Balaghat MLA vs DFO: कांग्रेस विधायक मुंजारे ने पूर्व मंत्री पर लगाया उकसाने का आरोप, बोलीं- उनके कहने पर चल रहीं DFO

हाइलाइट्स

  • कांग्रेस विधायक मुंजारे और महिला DFO के बीच विवाद गहराया

  • विधायक ने पूर्व मंत्री बिसेन पर रची साजिश का आरोप लगाया

  • सरकार ने जांच कमेटी बनाई, मानहानि केस की तैयारी

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Balaghat MLA vs DFO Controversy: मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे और महिला डीएफओ (Divisional Forest Officer) नेहा श्रीवास्तव के बीच विवाद गहराता जा रहा है। मामला उस वक्त सुर्खियों में आया जब डीएफओ नेहा ने एक पत्र लिखकर विधायक पर तीन लाख रुपए मांगने और धमकाने का आरोप लगाया। दूसरी ओर विधायक ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन पर मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया है।

सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है और उसने काम भी शुरू कर दिया है। वहीं, विधायक मुंजारे ने डीएफओ दंपती पर मानहानि का मुकदमा ठोकने की तैयारी कर ली है।

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विधायक पर क्या है आरोप

2 सितंबर को डीएफओ नेहा श्रीवास्तव का एक पत्र सामने आया जिसमें उन्होंने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि विधायक ने उनसे तीन लाख रुपए मांगे, अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और धमकियां दीं। इस पत्र में उन्होंने खुद और परिवार की सुरक्षा की मांग भी की।

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नेहा ने ये भी कहा कि विधायक के बुलाने पर वे रेस्ट हाउस गई थीं, जबकि वह उनका कार्यक्षेत्र नहीं था। उनका कहना है कि जो भी घटना हुई उसकी जानकारी उन्होंने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर दी है।

विधायक का पलटवार, बताया साजिश

विधायक अनुभा मुंजारे ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ये सब राजनीतिक साजिश है। उनका कहना है कि पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने इस पूरे घटनाक्रम को खड़ा किया है और डीएफओ को उनके खिलाफ शिकायत करने के लिए उकसाया गया।

मुंजारे ने आरोप लगाया कि डीएफओ नेहा अपने पति अधर गुप्ता को बचाने के लिए यह झूठा आरोप लगा रही हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पति-पत्नी बालाघाट के जंगलों में गड़बड़ियों में शामिल हैं और जब मैंने विधानसभा में सवाल उठाए तो इस तरह के आरोप लगाए गए।

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क्या है मामला

दरअसल, विवाद की जड़ 27 जुलाई की घटना से जुड़ी है। उस दिन सोनेवानी क्षेत्र में एक बाघ की लाश मिली थी। दो दिन बाद विभागीय कर्मचारियों ने बिना जरूरी प्रोटोकॉल पूरे किए ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

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विधायक का कहना है कि इस मामले में डीएफओ अधर गुप्ता की जिम्मेदारी बनती थी, लेकिन कार्रवाई छोटे कर्मचारियों पर हुई। उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया और यही बात डीएफओ दंपती को नागवार गुजरी।

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डीएफओ दंपती की सफाई

नेहा श्रीवास्तव ने माना कि पत्र उन्होंने ही लिखा है और उसमें सभी तथ्य दर्ज हैं। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि विधायक ने उनके साथ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया, लेकिन वह शब्द दोहराना नहीं चाहतीं।

वहीं, अधर गुप्ता ने इस पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

मामले की टाइमलाइन

27 जुलाई- बालाघाट जिले के लालबर्रा क्षेत्र के सोनेवानी जंगल में एक बाघ का शव मिला।

29 जुलाई- वन विभाग के कर्मचारियों ने बिना जरूरी प्रोटोकॉल पूरे किए बाघ के शव को जला दिया और उसकी राख नदी में फेंक दी।

2 अगस्त- बाघ के जलाने की तस्वीरें सामने आईं तो हड़कंप मच गया। इस मामले में 8 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई। अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि डिप्टी रेंजर और एक वनरक्षक अभी फरार हैं। इस घटना की जांच के लिए वन विभाग ने 6 सदस्यीय एसआईटी बनाई और एसटीएसएफ ने भी जांच शुरू कर दी।

5 अगस्त- कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव देते हुए इस मामले को उठाया और डीएफओ अधर गुप्ता पर कार्रवाई की मांग की।

16 अगस्त- विधायक मुंजारे ने वन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से मुलाकात की और डीएफओ को पद से हटाने की मांग दोहराई।

18 अगस्त- महिला डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने विभागीय अधिकारियों को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक मुंजारे ने उन्हें रेस्ट हाउस में बुलाकर 3 लाख रुपए मांगे, धमकी दी और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया।

2 सितंबर- नेहा श्रीवास्तव का यह पत्र सार्वजनिक हुआ और मामला तूल पकड़ गया।

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