(रिपोर्ट- मेहंदी हसन)
Baghpat Advocates Protest: केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम में किए गए बदलाव को लेकर बागपत में वकीलों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जिला बार एसोसिएशन से बागपत कलेक्ट्रेट तक वकीलों ने पैदल जुलूस निकालते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों को रद्द करने की मांग की।
अधिवक्ता अधिनियम के कुछ प्रावधान लोकतंत्र के विपरीत
वकील आरिफ बेग ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम में किए गए संशोधन में कुछ प्रावधान सरकार ने इस तरह से पास किए हैं जो बिल्कुल ही लोकतंत्र के विपरीत हैं। उन्होंने कहा कि वकील हड़ताल नहीं कर सकते, हड़ताल करना वकीलों का संवैधानिक अधिकार है जो कॉन्स्टिट्यूशन का दिया हुआ है। अगर वकील हड़ताल नहीं करेंगे तो गलत और सही का फैसला कैसे होगा?
बीसीआई में सरकार का डायरेक्ट इंटरफेयर
वकीलों ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों में बीसीआई में तीन मेंबर सरकार के आएंगे जो बार काउंसलिंग अधिवक्ताओं के लिए कानून बनाती थी। अब उसमें सरकार का डायरेक्ट इंटरफेयर हो जाएगा। वकीलों ने कहा कि यह संशोधन वकीलों के हितों के विरुद्ध है और इसे किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे।
‘अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन करना वकीलों का हनन’
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन करना वकीलों का हनन है। उन्होंने कहा कि पूरे देश के वकील इसके विरोध में हैं और हम आम लोगों से भी समर्थन मांग रहे हैं। हम किसी भी कीमत पर यह बिल पास नहीं होने देंगे।
कानपुर में भी विरोध प्रदर्शन
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ कानपुर में अधिवक्ताओं ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने इस विधेयक को अधिवक्ता समाज के लिए मृत्यु समान और काला कानून करार देते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की।
विरोध प्रदर्शन के दौरान अधिवक्ताओं ने केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने पहले अधिवक्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लाने का वादा किया था। लेकिन इसके बजाय ऐसा कानून लाया गया है जो अधिवक्ताओं के उत्पीड़न का कारण बनेगा।
अधिवक्ताओं की चेतावनी
अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि जब तक यह विधेयक वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। बता दें, देशभर के 25 लाख से अधिक अधिवक्ता इस आंदोलन में शामिल हो चुके हैं और सरकार पर दबाव बना रहे हैं, कानपुर के अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर इस विधेयक के खिलाफ आवाज बुलंद की और कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे।
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