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Bageshwar Dham : बागेश्वरधाम में अर्जी लगाने का अनोखा सिस्टम, कोर्ट की तरह पेशी पर पेशी

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deepak
Bageshwar Dham : बागेश्वरधाम में अर्जी लगाने का अनोखा सिस्टम, कोर्ट की तरह पेशी पर पेशी

Bageshwar Dham News : बागेश्वरधाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को कौन नहीं जानता। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में सिथत करीब 300 घरों का गढ़ा गांव आज देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना सुका है। गंढ़ा गांव में गाड़ियों की एंट्री हमेशा बंद रहती है। इसलिए बागेश्वर धाम में अपनी अर्जी लेकर आए भक्तों को करीब 5 से 6 किलोमीटर पैदल ही चलना पड़ता है। इसके बाद ही अर्जी लगती है। बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने का भी सिस्टम अनोखा है। अगर अर्जी लग जाए तो कोर्ट की तरह पेशी पर पेशी करनी होती है। यहां नारियल में कपड़ा बांधकर अर्जी लगानी होती है, लाल, पीला और काले कपड़े में नारियल बांधकर अर्जी स्वीकार की जाती है।

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खत्म होने का नाम नहीं लेती भीड़

बागेशवरधाम के पंड़ित धीरेन्द्र शास्त्री के दारबार में भीड़ खत्म होने का नाम नहीं लेती है। शादी की अर्जी के लिए पीले कपड़े में नारियल बांधा जाता है तो वही भूतप्रेत के मामले में काले कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है बाकी अन्य अर्जियों के लिए लाल कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। अर्जी स्वीकार होने के बाद भक्त को 21 मंगलवार या शनिवार पेशी करनी होती है। अर्जी के लिए पहले यहां फोन करना होता है। इसके बाद भक्त के नाम का टोकन डलता है। टोकन एक छोटी बच्ची से निकलवाया जाता है। नाम निलने के बाद फोन पर सूचना दी जाती है इसके बाद ही दरबार में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री से मुलाकात होती है। मुलाकात के दौरान पंडित धीरेन्द्र शास्त्री मन की बात जानलेते है और एक पर्चा बनाते है जिसमें वह समाधान लिखते है।

गांव में खुल चकी है 2 हजार दुकाने

गढ़ा गांव में पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का दिव्य दरबार लगने से गांव की किस्मत खुल गई है। 300 घरों के गांव में करीब 2 हजार से अधिक दुकाने सज चुकी है। घर के बाहर प्रसाद और फूल-मालाएं बेचकर लोग दिन भर में 1200 से 1500 रुपए रोज कमा रहे हैं। यहां दुकानों का किराया भी 3 हजार से 1.25 लाख रुपए प्रतिमाह हो चुका है। गांव के हर परिवार को घर बैठे रोजगार मिल गया है। आलम ये है कि कमाई के मामले में 21 किमी दूर विश्व प्रसिद्ध खजुराहो की चमक बागेश्वर धाम के आगे फीकी नजर आने लगी है। यहां लोग अपने खपरैल के घरों को तोड़कर पक्का बनवाने में जुटे हैं। एक मंजिला घर है, तो उसे दो मंजिला बनवा रहे हैं, जिससे ऊपर के कमरे होटल के तौर पर किराए से दे सकें। गांव में बस और ट्रेन के टिकट उपलब्ध कराने ट्रैवल्स की दुकानें खुल चुकी हैं। लोग खेती छोड़कर जमीनें किराए पर देने लगे हैं।

चचेरा भाई भी लगाता है दरबार

स्वामी प्रसाद गर्ग के दो बेटों में बड़े दिनेश उर्फ दीपक गर्ग भी मां तारादेवी का दिव्य दरबार लगाते हैं। इसी नाम से उन्होंने भी सोशल मीडिया पर चौनल और पेज बना रखे हैं। हर सोमवार, मंगलवार व शनिवार को उनका दरबार गंज में मां तारादेवी मंदिर में दोपहर तीन बजे से लगता है। यहां आने वाले सभी लोगों की मुलाकात दिनेश गर्ग से होती है। वे भी लोगों की मन की बात जान लेते हैं। चचेरे भाई धीरेंद्र शास्त्री की तरह पर्चे पर वे भी मन की बात लिख देते हैं, लेकिन उनके दरबार में किसी प्रकार की अर्जी लगाने का सिस्टम नही है।

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