श्योपुर । Kuno National Park: सरकार के प्रोजेक्ट चीता को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। जहां श्योपुर जिले के कूनों नेशनल पार्क में साउथ अफ्रीका से लाए गए नर चीते तेजस की मौत हो गई है। आपको बता दें मॉनिटरिंग टीम को तेजस गंभीर अवस्था में घायल मिला था। जिसके बाद उसे मॉनिटरिंग के लिए रखा गया था।
तेजस की मौत से ‘प्रोजेक्ट चीता’ को झटका
तेजस नामक इस नर चीते को इसी साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से श्योपुर जिले के केएनपी में लाया गया था। इसके साथ ही मार्च से अब तक केएनपी में नामीबियाई चीता ‘ज्वाला’ से पैदा हुए तीन शावकों सहित सात चीतों की मौत यहां हो चुकी है। इससे पिछले साल सितंबर में बहुत जोर शोर से चीतों को देश में फिर से बसाने की योजना के तहत शुरु किए गए ‘प्रोजेक्ट चीता’ को झटका लगा है।
तेजस की गर्दन पर थे कुछ चोट के निशान
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), वन्यजीव जे एस चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि केएनपी में लगभग चार साल के तेजस की संभवत: आपसी लड़ाई के कारण मौत हो गई। अधिकारी ने कहा कि देश में चीतों को बसाने के लिए दक्षिण अफ्रीका से लाया गया चीता घटना के समय एक बाड़े में था। एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार निगरानी दल ने मंगलवार सुबह करीब 11 बजे बाड़ा संख्या-6 में तेजस की गर्दन पर कुछ चोट के निशान देखे। जिसके बाद पशु चिकित्सकों को बुलाया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद होगा खुलासा
विज्ञप्ति में कहा गया है कि उचित मंजूरी मिलने के बाद पशु चिकित्सकों की एक टीम दोपहर करीब दो बजे मौके पर पहुंची, लेकिन चीता मृत पाया गया। इसमें कहा गया कि जांच शुरू की गई है और चीते की मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद पता चलेगा। चीता ज्वाला ने इस साल मार्च में चार शावकों को जन्म दिया था, लेकिन मई में निर्जलीकरण और कमजोरी के कारण उनमें से तीन की मौत हो गई। ज्वाला जिसका पूर्व नाम ‘सियाया’ था, उसे सितंबर 2022 में नामीबिया से लाया गया था। 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत के आखिरी चीते के शिकार के बाद देश में ज्वाला के चार चीता शावक पहली दफा भारत के जंगल में पैदा हुए थे।
पहले भी हो चुकी है मौत
नामीबियाई चीतों में से एक, साशा की 27 मार्च को किडनी से संबंधित बीमारी के कारण मृत्यु हो गई, जबकि दक्षिण अफ्रीका के एक अन्य चीते, उदय की 13 अप्रैल को मृत्यु हो गई। वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की 9 मई को एक नर चीते के साथ हिंसक झड़प में चोट लगने से मृत्यु हो गई। पिछले साल 17 सितंबर को एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था। इसके बाद इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी पहुंचे।
24 से घटकार रहे गए 17 चीते
मीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए तथा केएनपी में हुए चार शावकों समेत कुल 24 चीतों में से राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की संख्या अब घटकर 17 रह गयी है। धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले इस वन्यजीव को 1952 में भारत में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इससे पहले दिन में एक वन अधिकारी ने बताया था कि दो और चीतों प्रभाष और पावक को सोमवार को केएनपी के जंगल में छोड़ दिया गया जिससे जंगल में छोड़े गए चीतों की संख्या 12 हो गई है। श्योपुर के संभागीय वन अधिकारी पी के वर्मा ने कहा कि दोनों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था।
Indore News: महिला को आम खाना पड़ा महंगा, परिजनों का आरोप, आम में था जहरीला पदार्थ
12 July Ka Panchang: आज इस दिशा में भूलकर भी न करें यात्रा, क्या कहता है आज का पंचांग
बरसात के कीड़ों को रखना है घर से दूर, तो आजमाएं ये 10 टिप्स, नहीं आएगा कीड़ा
Bad news from Kuno National Park, 7th cheetah Tejas died, 17 out of 24 cheetahs survived, Cheetah Tejas, Project Cheetah, Shyopur news, mp news, प्रोजेक्ट चीता , कूनों नेशनल पार्क , चीता तेजस, 7 वें चीते तेजस ने तोड़ा दम