NCERT Book: NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की बुक में बड़ा बदलाव कर दिया है। इस बुक से बाबरी मस्जिद, भगवान राम, श्री राम, रथ यात्रा, कारसेवा और विध्वंस के बाद की हिंसा जैसे शब्दों को हटा दिया गया है। इतना ही नहीं अब बाबरी मस्जिद के नाम के बजाय इसे तीन गुंबद वाला ढांचा और अयोध्या विवाद को अयोध्या विषय के नाम से पढ़ाया जाएगा। बुक में चार पेज की डिटेल को दो पेज में कर दिया गया है।
11 साल में चार बार संशोधन
2014 के बाद से NCERT की टेक्स्ट बुक में चौथी बार संशोधन किया गया है। यानी 11 साल में चार बार संशोधन किए गए।
2017 में पहले दौर में NCERT ने हाल की घटनाओं को दर्शाने के लिए संशोधन की जरूरत का हवाला दिया था।
2018 में सिलेबस को छोटा करने के लिए संशोधन किया था। 2021 में भी सिलेबस को छोटा करने और स्टूडेंट्स को कोविड के कारण पढ़ाई में दिक्कत से उबरने में मदद के लिए संशोधन किए थे।
बाबरी मस्जिद को अब 3 गुंबद वाला ढांचा पढ़ा जाएगा
NCERT की पुरानी बुक में बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) की जानकारी 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप दी गई थी।
इसे मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाया था। NCERT की नई बुक में इसे तीन-गुंबद वाला ढांचा (Structure) लिखा गया है।
इसमें बताया गया है कि तीन गुंबद वाली इमारत को 1528 में श्रीराम के जन्मस्थान पर बनाया गया था। इसके अंदर और बाहर स्ट्रक्चर में हिंदू प्रतीक और अवशेष साफ तौर पर नजर आ रहे थे।
NCERT डायरेक्टर ने कहा- स्कूल में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए?
बाबरी मस्जिद विध्वंस या उसके बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा का संदर्भ हटाने के सवाल पर NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी न सफाई दी और कहा कि हमें स्कूल में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए?
हम पॉजिटिव नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि वॉयलेंट (हिंसक) और डिप्रेस्ड (अवसादग्रस्त) इंसान।
NCERT के डायरेक्टर सकलानी ने एक न्यूज एजेंसी से चर्चा में स्कूली पाठ्यक्रम के भगवाकरण के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि टेक्स्ट बुक में बदलाव सालाना संशोधन का हिस्सा है।
NCERT के डायरेक्टर ने यह भी कहा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक NCERT के डायरेक्टर ने सवालों के रूप में जवाब दिए।
उन्होंने कहा, क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह पढ़ाना चाहिए कि वे ऑफेंसिव (आक्रामक) हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार हों?
क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए? जब वे बड़े हो जाएंगे तो वे इसके बारे में जान सकते हैं।
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नई बुक से किन्हें हटाया गया
- NCERT की पुरानी किताब में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एमएन वेंकटचलैया और जस्टिस जीएन रे ने मोहम्मद असलम बनाम भारत संघ मामले में 24 अक्टूबर 1994 को दिए गए फैसले में टिप्पणियों का अंश था। इसमें कल्याण सिंह (बाबरी ढहाए जाने के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री) को कानून की गरिमा को बनाए रखने में विफल रहने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था। इसमें कहा गया कि चूंकि अवमानना बड़े मुद्दों को उठाती है, जो हमारे राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की नींव को प्रभावित करती है। इसलिए हम उन्हें एक दिन के सांकेतिक कारावास की सजा भी देते हैं।
- NCERT की पुरानी बुक में दो से ज्यादा पन्नों से फैजाबाद जिला अदालत के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद दोनों तरफ की लामबंदी की डिटेल जानकारी दी गई थी। इसमें सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, दिसंबर 1992 में राम मंदिर निर्माण के लिए की गई कार सेवा, मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद जनवरी 1993 में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र किया गया था। इसमें बताया गया था कि कैसे बीजेपी ने अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद जताया था।
- पुरानी बुक में अखबारों में छपे लेखों की फोटो थीं। इनमें 7 दिसंबर 1992 का एक लेख भी शामिल था, जिसका शीर्षक था- बाबरी मस्जिद डिमॉलिश्ड, सेंटर सैक्स कल्याण गवर्नमेंट (Babri Masjid demolished, Centre sacks Kalyan Govt)। 13 दिसंबर 1992 के एक अन्य शीर्षक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हवाले से कहा गया था कि अयोध्या बीजेपीस वर्स्ट मिसकैलकुलेशन (Ayodhya BJP’s worst miscalculation)।
(नई बुक में से इन सभी बिंदुओं को हटा दिया गया है।)