Ayurved in Britain: आयुर्वेद की उत्पत्ति भारत में 3,000 वर्ष से भी पहले हुई थी। लेकिन इसके बाद अब यह पद्धति यूरोपी देश ब्रिटेन में भी बड़ी तेजी से अपनाई जा रही है। यहाँ राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना (एनएचएस) ने आयुर्वेद को शामिल करने की तैयारी शुरु कर दी है। ब्रिटेन की सर्वदलिय कमेटी ने आयुर्वेद को बेहतर पद्धति बताते हुए भारती चिकित्सा पद्धति की अनुशंसा की है।
भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए खुशखबरी
ब्रिटेन की सर्वदलिय कमेटी की अनुशंसा के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि अगले 5 साल में यहां लगभग 10 हजार आयुर्वेदिक डॉक्टरों की भर्ती होगी। इसके अलावा यहां आयुर्वेद पर आधारित सौन्दर्य, शेक्षणिक और स्वास्थ्य संबंधित संस्थाओं की संख्या भी बढ़ने वाली है।
यहां अगले पांच साल में 500 संस्थाएं खुलने की है, जबकि ऐसी 100 संस्थाएं यहां पहले से ही कार्यरत हैं। यह खबर भारतीय आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए खुशी का सबब हो सकती है।
यहां लोगों में आयुर्वेद को अपनाने की इतनी होड़ है कि इस मामले में सरकारी क्षेत्रों के साथ प्राइवेट सेक्टर भी काफी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
भारतीय डिग्री को मिलेगी मान्यता
ब्रिटेन में (Ayurved in Britain) आयुर्वेद को बढ़ावा देने के मामले में ब्रिटेन के आयुर्वेद सेंटर फॉर एक्सीलेंस के अमरजीत सिंह ब्रह्मा ने कहा, “एनएचएस में आयुर्वेद को शामिल होने की प्रकिया जल्द पूरी हो जाएगी। इसके बाद भर्ती के लिए भारत से भी आवेदन लिए जाएंगे।
इसमें सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से आयुर्वेद की डिग्री की मान्यता को तवज्जो दी जाएगी। दिलचस्प है कि ब्रिटेन में आयुर्वेद का बोलबाला इतना बढ़ गया है कि हर 10 में 6 लोगों ने जीवन में कम से कम एक बार आयुर्वेदिक पद्धति का इस्तेमाल किया है। इसमें सबसे ज्यादा लोगों ने स्किन और हेयर केयर के लिए आयुर्वेद को सर्च किया गया है।
ब्रिटिश के बाद फ्रेंच और जर्मन छात्र भी बढ़े
ब्रिटिश कॉलेज फॉर आयुर्वेद में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में इस साल 70% बढ़ गए हैं। इसके अलावा दिलचस्प बात यह है कि दाखिला लेने वालों में ब्रिटिश छात्रों के बाद दूसरे नंबर पर फ्रेंच और तीसरे नंबर पर जर्मन छात्र हैं।
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