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Avoid Untimely Death: इस स्तोत्र के पाठ से नहीं होती है अकाल मृत्यु, सावन में अवश्य करें इसका जाप

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Preeti Dwivedi
Avoid Untimely Death: इस स्तोत्र के पाठ से नहीं होती है अकाल मृत्यु, सावन में अवश्य करें इसका जाप

Akal Mrityu se Bachne ke Upay: हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की उपासना के लिए कई मंत्र और स्तोत्र बताए गए हैं। यदि आपको भी अकाल मृत्यु (Akal Mrityu) का भय बना रहता है। तो ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं अकाल मृत्यु से बचने के लिए एक उपाय (Avoid Untimely Death)। सनातन धर्म के मंत्र विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ये उपाय सही विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा से किया जाए, तो ये एक अचूक उपाय है।

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ये उपाय है नागलीला स्तोत्र (Naglila Stotra), जिसके रचना महान कृष्णभक्त  महाकवि सूरदास ने की है. उनके द्वारा रचित इस स्तोत्र को करने का सही समय क्या है और साथ ही इसका महत्व क्या है, आइए जानते हैं।

नागलीला स्तोत्र (Naglila Stotra) जाप का सही समय

महाकवि सूरदास द्वारा रचित नागलीला स्तोत्र को यदि भगवान श्रीकृष्ण के कमलनेत्र स्तोत्र (Naglila Stotra) का पाठ करने के बाद किया जाए तो इसका विशेष फल प्राप्त होता है। इस पाठ को करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसे करने के बाद व्यक्ति पापरहित रास्ते पर चलकर पुण्य कर्म को करने की ओर अग्रसर होता है।

नागलीला स्तोत्र का महत्व - Naglila Stotra Significance

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नागलीला स्तोत्र (Naglila Stotra) का पाठ करता है उसकी कभी अकाल मृत्यु (Akal Mrityu-Naglila Stotra) नहीं होती है। वे पूर्णायु प्राप्त करने के बाद ही अपना शरीर त्यागता है। इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण ने कालीदाह में कालिया नाग को नाथा था। श्रीकृष्ण ने पापी कंस को मृत्यु प्रदान करके उसका उद्धार किया था। यह अनुपम स्तोत्र भगवान कृष्ण की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए महाकवि सूरदास (Mahakavi Surdas) द्वारा रचा गया है।

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नागलीला स्तोत्र संपूर्ण पाठ -  Naglila Stotra to Avoid Untimely Death

श्रीकूल यमुना धेनु आगे, जल में बैठे प्रभुजी आन के।
नाग नागिनी दोनों बैठे, श्रीकृष्ण जी पहुंचे आन के।

नागनी कहती सुनो रे बालक, जाओ यहाँ से भाग के।
तेरी सूरत देख मन दया जो उपजी, नाग मारेगा जाग के।

किसका बालक पुत्र कहिए, कौन तुम्हारा ग्राम है।
किसके घर तू जनमिया बालक, क्या तुम्हारा नाम है।

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वासुदेव जी का पुत्र कहिए, गोकुल हमारा ग्राम है।
श्री माता देवकी जनमिया मैनू, श्रीकृष्ण हमारा नाम है।

लेरे बालक हत्यां दे कंगन, कन्नां दे कुंडल सवा लखां दियां बोरियां।
इतना द्रव्य ले जा रे बालक, देयां मैं नागां कोलों चोरियां।

क्या करां तेरे हत्या दे कंगन, कन्नां दे कुंडल सवा लखां दियां बोरियां।
श्री मात यशोदा दही बिलोवे, पावां नाग कालेदीयां डोरियां।

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नोट: इस लेख में दी गई सभी जानकारियां सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने के पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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