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No Confidence Motion in Hindi: अविश्वास प्रस्ताव क्या है? विस्तार से जानें इसका सिद्धांत और संवैधानिक प्रक्रिया

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Shyam Nandan
No Confidence Motion in Hindi: अविश्वास प्रस्ताव क्या है? विस्तार से जानें इसका सिद्धांत और संवैधानिक प्रक्रिया

No Confidence Motion in Hindi: आठ अगस्त की तारीख का भारत के इतिहास में एक विशिष्ट महत्व और स्थान है। इस तारीख को अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव लाया गया था।

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साल 2023 का 8 अगस्त भी कभी भुलाया नहीं जाएगा, क्योंकि इस तारीख को लोकसभा में एक पूर्ण बहुमत की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान किया जा रहा है।

वर्तमान मुद्दा क्या है - Avishwas Prastav 2023

सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 26 जुलाई को स्वीकार किया था।

यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर की स्थिति पर बयान की मांग को लेकर चल रहे विपक्ष के विरोध के बीच लाया गया था।

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बता दें, मणिपुर की स्थिति पर संसद में गतिरोध के बीच, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने 26 जुलाई, 2023 को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा था।

अविश्वास प्रस्ताव क्या है - Avishwas Prastav Kya Hai?

अविश्वास प्रस्ताव लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और संसदीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। संसदीय व्यवस्था में जब विपक्षी दल (पार्टी) को यह प्रतीत होता है कि सत्तारूढ़ दल की सरकार संसद के सदन का विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाती है।

अंग्रेजी में इसे ‘नो कॉन्फिडेंस मोशन’ (No Confidence Motion) कहते हैं। इस संबंध में इसका उल्लेख भारत के संविधान के अनुच्छेद 75 में किया गया है।

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संसदीय लोकतंत्र में, कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब उसके पास सीधे निर्वाचित सदन में बहुमत हो।

अविश्वास प्रस्ताव की संवैधानिक व्यवस्था

-- अविश्वास प्रस्ताव एक संवैधानिक व्यवस्था है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि लोकतांत्रिक पद्धति से गठित केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जिम्मेदार है।

-- इसका तात्पर्य यह है कि जब तक इस मत्रिपरिषद को सदन में बहुत हासिल है, तभी तक वह मत्रिपरिषद बनी रह सकती है।

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-- यदि इस मत्रिपरिषद के प्रति विपक्षी दल द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव सदन में पारित हो जाता है, तो प्रधानमंत्री सहित मत्रिपरिषद को इस्तीफ़ा देना होता है।

-- अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया का विस्तृत उल्लेख लोकसभा की प्रक्रि‍या और कार्य संचालन नियमावाली के नि‍यम 198(1) से लेकर 198(5) तक किया गया है।

-- यह मात्र एक पंक्ति का प्रस्ताव होता है, जो कुछ यूं होता है- “यह सदन मंत्रि‍परि‍षद में अवि‍श्वास व्यक्त करता है

अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया - Avishwas Prastav ki Prakriya

लोकसभा की प्रक्रि‍या और कार्य संचालन नियम 198(1)(क) के अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्य को लोकसभा के स्पीकर के बुलाने पर सदन से इसके लिये अनुमति लेनी पड़ती है।

नियम 198(1)(B) के अनुसार, सदन की कार्यवाही शुरू पर सुबह 10 बजे तक इस प्रस्ताव की लिखित सूचना लोकसभा महासचिव को देनी होती है। यदि 10 के बाद यह प्रस्ताव दिया जाता है, तो उस सूचना को अगले तिथि (दिन) को मिली सूचना माना जाता है।

नियम 198(2) के अनुसार, इस प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कम-से-कम 50 सदस्यों का समर्थन होना आवश्यक है। यह संख्या बल नहीं होने पर प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाता है।

नियम 198(3) के अनुसार, स्पीकर की अनुमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिये एक या अधिक दिन या किसी दिन का एक भाग तय किया जाता है।

जब लोकसभा स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंज़ूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अदंर इस पर चर्चा ज़रूरी है।

नियम 198(4) के अनुसार, स्पीकर चर्चा के अंतिम दिन मतदान के ज़रिये निर्णय की घोषणा करते हैं।

नियम 198(4) के अनुसार भाषणों की समय-सीमा तय करने का अधिकार स्पीकर के पास है।

इस प्रस्ताव को स्पीकर की स्वीकृति मिलने के बाद सत्तारूढ़ दल (पार्टी) या गठबंधन को यह सिद्ध करना होता है कि उसे सदन में आवश्यक समर्थन प्राप्त है।

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के बाद क्या होता है

अविश्वास प्रस्ताव में मतदान (वोटिंग) के केवल लोकसभा के सांसद कर सकते है। राज्यसभा के सांसद इस मतदान प्रक्रिया से दूर रहते हैं।

प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव की मतदान प्रक्रिया के तहत यदि प्रस्ताव के समर्थन में सदन में उपस्थित सदस्यों में से आधे से एक वोट अधिक होने पर अविश्वास प्रस्ताव मंत्रिपरिषद (सरकार) के खिलाफ हो जाता है, अब प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना होता है। इसे सामान्य भाषा में ‘सरकार गिर जाना’ कहते हैं।

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