August Panchak 2024: आज से अगस्त का महीना शुरू हो गया है। हर महीने की तरह इस महीने भी पंचक (August Panchak 2024 in hindi) आएंगे। वैसे तो पंचकों को मांगलिक कार्यों के लिए शुभ काम के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन इस बार अगस्त में जो पंचक आ रहे हैं वे रक्षाबंधन के दिन से शुरू हो रहे हैं।
तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य की नजर में क्या संकेत दे रहे हैं। रक्षाबंधन पर पंचकों की शुरुआत किस बात का संकेत हैं। अगस्त के पंचकों के नाम क्या हैं, साथ ही इसकी समाप्ति कब होगी। जानते हैं।
अगस्त में पंचक कब से कब तक हैं
हिन्दू पंचांग के अनुसार अगस्त में पंचकों की शुरुआत 19 अगस्त दिन सोमवार की रात 8:08 बजे से शुरू हो रहे हैं। जिनकी समाप्ति 23 अगस्त को रात 1:12 मिनट पर होगी।
पंचक कितने प्रकार के होते हैं
पंचक मुख्य रूप से पांच तरह के होते है। इसमें रोग पंचक (Rog Panchak), राज पंचक (Raj Panchak), अग्नि पंचक (Agni Panchak), चोर पंचक (Chore Panchak), मृत्यु पंचक (Mrityu Panchak) शामिल हैं।
पंचक क्या होते हैं
नक्षत्र कई तरह के होते हैं। इनमें से कुछ शुभ और कुछ अशुभ होते हैं। अशुभ नक्षत्रों होते हैं उनमें शुभ काम करना वर्जित होता है।
ज्योतिषीय गणना में जब धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती समेत पांच नक्षत्र (Panchak Nakshatra) एक साथ आते हैं तो इसकी युति यानी इन सभी का एकसाथ होता अशुभ माना जाता है। नक्षत्रों की इस स्थिति को ही पंचक कहते हैं।
रक्षाबंधन से शुरू होंगे राज पंचक
हिन्दू ज्योतिष के अनुसार जब पंचक सोमवार के दिन से शुरू होते हैं तो इन पंचकों को राज पंचक कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इन पंचकों को यह राजकीय एवं सरकारी कार्यों के लिए शुभ माना गया है। संपत्ति से जुड़े कार्य के लिए भी यह पंचक शुभ होता हैं।
पंचकों में क्यों नहीं करते अग्नि संबंधी काम
जब कार्तिकेय के भ्रूण को कबूतर रूपी अग्नि (धनिष्ठा) लेकर उड़ा ले गया था इसके बाद मां को आभास हुआ। तब मां ने अग्नि (धनिष्ठा) को श्राप दिया था, कि ब्रम्हांड की समस्त सकार/नकार पदार्थो का तुम सेवन करोगे।
इसी कारण के चलते पंचक में धनिष्ठा से रैवती(पूषा) तक का समय पंचक माना जाने लगा। जिस कारण अग्नि संबंधित कोई भी कार्य हम पंचक मे नहीं करते हैं। यहां तक कोई भी शुभ कार्य भी हम धनिष्ठा-रेवति तक नहीं किया जाता है।
पुराणों में पंचक
गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक
गरुड़ पुराण और अनेक शास्त्रों में पंचक में शरीर का दाह-संस्कार निषेध बताया है। पंचक में मृतक का दाह-संस्कार होता है तो, परिवार में 5 बार ऐसा होता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार पंचक
पंचकों को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। इसे लेकर ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा गया है कि
न तस्य उध्वैगति:दृष्टा।
पंचक में मरने से ऊर्ध्वगति नहीं होती है। स्वर्ग आदि दिव्यलोक में गति नहीं होती है।
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