नई दिल्ली। मां की आराधना के लिए Gupt Navratri 2022 : करना चाहते हैं गुप्त रूप june gupt navratri 2022 से मां की आराधना, इस दिन आ रही हैं गुप्त नवरात्रि bansal dharam news का विशेष माना जाता है। आपको बता दें साल khabar kaam ki में दो बार प्रकट और दो बार गुप्त नवरात्रि आती हैं।Ashadha Gupt Navratri 2022 जिससें में एक गुप्त नवरात्रि निकल चुकी हैं। तो वहीं दूसरी यानि अषाढ़ मास की नवरात्रि 3 दिन बाद 30 जून तारीख से Gupt Navratri शुरू हो रही हैं। आपको बता दें अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार Gupt Navratri 2022 फरवरी में एक Ashad Maah 2022 बार गुप्त नवरात्रि आ चुकी हैं। लेकिन हिंदू नववर्ष की पहली गुप्त नवरात्रि 30 जून से शुरू होगीं। जो 8 जुलाई तक चलेंगी।
आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि —
पंडित अनिल कुमार पाण्डेय के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि Goddess Durga होती है दो प्रकट नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। इन्हीं दो गुप्त नवरात्रि में से एक गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात 30 जून 2022 गुरुवार से प्रारंभ हो रही है जो कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमीं यानि 8 जुलाई 2022 तक रहेगी। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि पर्व में माँ दुर्गा जी के दस महाविद्या के सरूप में आराधना की जाती है, समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए माँ की गुप्त रूप से साधना होती है, गुप्त नवरात्रि में साधक तंत्रिक पूजन से भी माँ भगवती की आराधना करके प्रशन्न करते है। अनेक प्रकार की तांत्रिक साधनाये भी की जाति है।
शत्रु पर विजय, पति और पत्नी के लिए मंत्र —
विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्ति के लिए विभिन्न मंत्र जिनमें से कुछ मंत्रों के बारे में आपको बताया जा रहा है।
पति प्राप्ति के लिये मन्त्र-
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि !
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:!!
यह मंत्र दुर्गा सप्तशती का संपुटित पाठ किसी योग्य ब्राहमण से करवाऐ। माता से प्रार्थना करें हे माँ मै आपकी शरण में आ गयी। मुझे शीघ्र अति शीघ्र सौभाग्य की प्राप्ति हो और मेरी मनोकामना शीघ्र पुरी हो। माँ भगवती कि कृपा से अवश्य सफलता प्राप्त होगी।
पत्नी प्राप्ति के मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम.!!
माँ दुर्गा सप्तशती का संपुटित पाठ किसी योग्य ब्राह्मण से करवाऐ,आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी.!!
शत्रु पर विजय ओर शांति प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्.!!
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिएः
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय..!!
यह सभी जाप आपको किसी योग्य ब्राह्मण से करवाना चाहिए विश्वास करें माता की कृपा से अगर पूर्ण विश्वास के साथ और पूर्ण कर्मकांड के साथ जाप किया जाता है तो अवश्य फायदा होता है।
गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहूर्त –
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि प्रारंभ– 29 जून सुबह 8 बजकर 22 मिनट में शुरू
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि समाप्त– 30 जून सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- 30 जून दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त- 30 जून सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
गुप्त नवरात्रि में करें इन 10 महाविद्याओं की पूजा
1- मां काली
2- मां तारा
3-मां त्रिपुर सुंदरी
4- मां भुवनेश्वरी
5- मां छिन्नमस्ता
6- मां त्रिपुर भैरवी
7- मां धूमावती
8 – मां बगलामुखी
9- मां मातंगी
10 – मां कमला
गुप्त नवरात्रि की तिथियां –
पहला दिन : प्रतिपदा तिथि – घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा
दूसरा दिन : द्वितीया तिथि – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन: तृतीया तिथि – मां चंद्रघंटा की पूजा
चौथा दिन: चतुर्थी तिथि – मां कूष्मांडा की पूजा
पांचवा दिन: पंचमी तिथि – मां स्कंदमाता की पूजा
छठा दिन : षष्ठी तिथि – मां कात्यायनी की पूजा
सातवां दिन: सप्तमी तिथि – मां कालरात्रि की पूजा
आठवां दिन: अष्टमी तिथि – मां महागौरी की पूजा
नौवां दिन: नवमी तिथि – मां सिद्धिदात्री की पूजा
10 वां दिन- नवरात्रि का पारण
पूजन में भूलकर भी न करें ये काम —
— इन दिनों बाल नहीं कटवाने चाहिए, बच्चों का मुंडन संस्कार भी इस दौरान वर्जित है।
— इन दिनों में भोजन में लहसुन और प्याज के प्रयोग से बचें।
— गुप्त नवरात्रि के दिनों में देर तक सोने की मनाही होती है।
— इन दिनों में पति-पत्नी को ब्रह्माचर्य के नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।
— गुप्त नवरात्रि में चमड़े की चीजों से दूर रहना चाहिए।
— गुप्त नवरात्रि के दौरान बैंगनी, नीले या गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें।
— किसी भी महिला का भूल से भी अपमान नहीं करें।
— गुप्त नवरात्रि के दिनों में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
— इन दिनों में बेड या पलंग की जगह कुश की चटाई पर सोना चाहिए।
— तामसिक यानि अत्यधिक तेल और मसालेदार भोजन करने से बचना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जाप —
‘ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
ॐ क्लीं सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन्य धान्य सुतान्यवितं, मनुष्यो मत प्रसादेंन भविष्यति न संचयः क्लीं ॐ
ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूं फट नीलसरस्वत्ये स्वाहा’