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आषाढ़ का पहला मंगलवार 2024 कल: बजरंग बली को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर, क्या है माता सीता से संबंध

आषाढ़ का पहला मंगलवार 2024: बजरंग बली को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर, क्या है माता सीता से संबंध Why is sindoor offered to Bajrang Bali, what is its relation with Mata Sita astrology hindi news pds

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Preeti Dwivedi
आषाढ़ का पहला मंगलवार 2024 कल: बजरंग बली को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर, क्या है माता सीता से संबंध

Ashadha Pahla Mangalwar 2024: आषाढ़ का महीना शुरू हो गया है। ये महीना बजरंब बली के लिए खास माना जाता है।

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हिन्दू मान्यता अनुसार वैसे तो सभी देव-देवताओं को लिए उनके वस्त्र के लिए एक विशेष रंग का चुनाव किया जाता है। जैसे मां दुर्गा को लाल रंग, विष्णु जी को पीला रंग, गणेशजी को हरा और पीला रंग खास माना जाता है।

पर क्या आप जानते हैं बजरंगबली को कोई वस्त्र नहीं बल्कि सिंदूर चढ़ाने की सलाह दी जाती है। दरअसल इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। इनमें से जो परंपरा सबसे ज्यादा प्रचलित है आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे।

तो चलिए जानते हैं हनुमान जी (Lord Hanuman) को क्यों चढ़ाते हैं सिंदूर(Hanuman ji ko Sindoor Kyon Chadate hain) ?

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सिंदूर 

हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने के पीछे भी एक कारण हैं। माता सीता श्रीराम की उम्र बढ़ाने के लिए सिंदूर लगाती थीं। जिसे देखकर श्री हनुमान भी सिंदूर लगाने लगे हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन और हनुमान जयंती के दिन उन्हें सिंदूर अर्पित करें।

सिंदूर चढ़ाने के पीछे क्या है कारण

भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। दरअसल श्रीरामचरितमानस (Shri Ramcharitmanas) में मां सीता और भगवान हनुमान के बीच एक संवाद वर्णित है। जिसके अनुसार रावण का वध के बाद जब माता सीता श्रीराम के साथ अयोध्या लौटी थीं। तो एक दिन मां सीता अपना श्रृंगार कर रही थीं।

इसी दौरान भगवान हनुमान ने मां सीता को अपनी मांग में लाल रंग का कोई द्रव्य सजाते हुए देखा था, तो इस सवाल के जवाब में मां सीता से कहा था कि यह सिंदूर है, जो कि सौभाग्य का प्रतीक है। इसे लगाने से पति श्री राम की आयु लंबी होती है। भगवान राम को भी ये बेहद प्रिय है, इसलिए मैं इसे लगाती हूं।

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इस दिन से हनुमानजी ने लगाया शुरू

माता सीता के सिंदूर लगाने की बात से प्रभावित होकर उस दिन हनुमान जी ने अपनी पूरे शरीर पर सिंदूर लगाया और श्रीराम के दरबार पहुंच गए थे।

हनुमान जी के मन में विचार आया था कि अगर माता सीता के अकेले मांग में सिंदूर लगाने से भगवान श्रीराम की आयु बढ़ती है तो मैं पूरे शरीर पर लगा लूंगा तो श्रीराम अमर हो जाएंगे।

इसी दिन से हुई सिंदूर चढ़ाने की शुरुआत

वहीं, दरबार में हनुमान को इस अवस्था में देख श्रीराम ने ऐसा करने का कारण पूछा, तो हनुमान ने श्रीराम को पूरा वृत्तांत सुना दिया। हनुमान की ये बातें सुनकर श्रीराम ने उन्हें हृदय से लगा लिया। ऐसी मान्यता है, कि इस संवाद के बाद से ही हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

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हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण

हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने के धार्मिक कारण के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है। इसके अनुसार कहा जाता है कि भगवान हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाने से प्रतिमा खंडित नहीं होती, बल्कि प्रतिमा का सिर्फ क्षरण होता है। सिंदूर को ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है।

सिंदूर चढ़ाते समय कौन सा मंत्र जपा जाता है

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार अगर आप भी भगवान हनुमान को सिंदूर और चोला चढ़ाते हैं तो आपको एक खास मंत्र का जाप करना चाहिए।

सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।

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