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Ashadh Maas 2024: क्या इस बार सच में 13 दिन का है आषाढ़ कृष्ण पक्ष, लोग क्यों मान रहे हैं अशुभ, जानें पूरी हकीकत

Ashadh Maas 2024: क्या इस बार सच में 13 दिन का है आषाढ़ कृष्ण पक्ष, लोग क्यों मान रहे हैं अशुभ, जानें पूरी हकीकत

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Preeti Dwivedi
Ashadh Maas 2024: क्या इस बार सच में 13 दिन का है आषाढ़ कृष्ण पक्ष, लोग क्यों मान रहे हैं अशुभ, जानें पूरी हकीकत

Ashadh Maas 2024 Krishna Paksha Days: हिन्दू धर्म में हर महीने को दो पक्षों में बांटा गया है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। दोनों ही पक्षों को आमतौर पर 15-15 दिन के पक्षों में बांटा गया है। इसी बीच एक खबर मीडिया में बार-बार सामन आ रही हैं जिसमें आषाढ़ के कृष्ण पक्ष को 13 दिन का बताया जा रहा है। साथ ही कहा जा रहा है इस तरह के संयोग महाभारत युग (Mahabharat Yug) के समय बने थे।

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तो चलिए जानते हैं क्या सच में महाभारत के समय आषाढ़ कृष्ण पक्ष (Ashadh Maas 2024 Krishna Paksha) में 13 दिन जैसी स्थिति इस साल 2024 में बन रही है। साथ ही जानेंगे कि इन पक्षों की गणना कैसे होती है। इससे पहले आषाढ़ पक्ष में कब-कब 13 दिन का कृष्ण पक्ष आया था।

कितने दिन का होता है एक पक्ष

प्रत्येक अमावस्या से अमावस्या के बीच का औसत मान 29 दिन 14 घंटे 44 मिनट 3 सेकंड होता है। जो कि 6 घंटे कम या अधिक तक हो सकता है।

इसी तरह औसतन एक पक्ष 14 दिन 21 घंटे 22 मिनट का होता है। लेकिन इसकी अवधि में एक दिन तक का अंतर आ जाता है। यानी एक पक्ष कम से कम 13 दिन 23 घंटे से लेकर अधिक से अधिक 15 दिन 22 घंटे तक का होता है।

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इस स्थिति में होता है 13 दिन का एक पक्ष

किसी भी महीने में जब भी एक पक्ष 14 दिन से कम का होता है। तो सूर्योदय की तिथि की गणना के कारण पक्ष के 13 दिन के होने की संभावना अधिक बन जाती है। यदि अमावस्या सूर्योदय के कुछ मिनटों बाद समाप्त हो रही हो, तो वह पक्ष 13 दिन का हो जाता है।

एक बात ध्यान देने की है कि पक्ष की अवधि 14 दिन से केवल 27 मिनट ही कम है जबकि भारत का रेखांश पूर्व से पश्चिम तक लगभग 98° पू. से 68° पू. तक फैला हुआ है। यानी भारत के सुदूर पूर्व के सूर्योदय से सुदूर पश्चिम के सूर्योदय में 2 घंटे तक का अंतर आ जाता है।

अतः 13 दिन का पक्ष पूरे भारत में लागू होगा, कैसे कह सकते हैं? यह केवल 80° पू. से लेकर 70°पू. तक के रेखांशों के मध्य ही हो सकता है। यदि हम कोलकाता की ओर जाते हैं तो सूर्योदय पहले हो जाता है।

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22 जून को प्रतिपदा का क्षय, इसलिए कम हुए दिन

आपको बता दें अंग्रेजी कैलेंडर (English Calender)  के अनुसार जून लेकिन हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार अषाढ़ (Ashadh Mass 2024) यानी शनिवार 22 जून 2024 को उदया तिथि में प्रतिपदा नहीं है। तथा दूसरे दिन सूर्योदय पर यह तिथि नही है।

इसका अर्थ ये हुआ कि इस दिन प्रतिपदा का क्षय हुआ है। लेकिन इसी के साथ ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि प्रतिपदा का भोग्य काल 56 घटी 29 पल है। इसी तरह 4 जून 2024 को त्रयोदशी केवल 01पल के लिए ही है। उसी दिन चतुर्दशी का भोग्य काल 57 घटी 40 पल है। इस तरह पक्ष का पूरा मान 13 दिन 54 घटी 09 पल होता है।

दूसरी बात न ज्येष्ठ शुक्ल पुर्णिमा त्रिमूहर्ती है न त्रयोदशी। यानी 22 जून 24 को पूर्णिमा का भोग काल 1 घटी 59 पल यानी लगभग 48 मिनट है। ठीक इसी तरह 4 जुलाई 24 को त्रयोदशी का भोग काल केवल 1 पल है।

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क्या कह रही है भारतीय मानक समय की गणना (IST) 

आपको बता दें ज्योतिर्विद एचएन राव के अनुसार उपरोक्त सारी गणनाएं भारतीय मानक समय (IST) पर आधारित है।

यहां जानें सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

22 जून 2024 को सुदूर पूर्व में सूर्योदय 04 बजकर 49 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 06 बजकर 28 मिनट पर होगा।

22 जून 2024 को सुदूर पश्चिम में सूर्योदय 06 बजकर 49 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 08 बजकर 28 मिनट पर होगा।

4 जुलाई 2024 को सुदूर पूर्व में सूर्योदय 04बजकर 52 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 06 बजकर 28 मिनट पर होगा।

04.07.24 को सुदूर पश्चिम में सूर्योदय 06 बजकर 52 मिनट पर तथा सूर्यास्त सायं 08 बजकर 28 मिनट पर होगा।

इन सभी स्थितियों के आधार पर यह कहना कि 13 दिन पक्ष हैं, अनिष्टकर होगा। ऐसा कहीं से भी तर्क संगत नहीं प्रतीत हो रहा है कि इस पक्ष में कोई ग्रहण (Grahan 2024) नहीं है। अतः महाभारत काल से तुलना करना कदापि न्यायोचित नहीं है।

कब-कब पड़ा था 13 दिन का पक्ष

आपको बता दें ज्योतिर्विद एचएन राव की गणना के अनुसार इससे पहले 2021 में भाद्रपद शुक्ल 13 दिन का पक्ष हुआ था। इसके 11 साल पहले वर्ष 2010 में वैशाख शुक्ल पक्ष 13 दिन का आया था। फिर इसके बाद 2005 में कार्तिक शुक्ल 13 दिन का पक्ष हुआ था। बीते 65 साल पहले भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष साल 1959 में 13 दिन (13 days) का आया था।

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