देवरिया। अभी तक आपने वोट मांगने के कई तरीके देखें होंगे,लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया सीट पर हो रहे उपचुनाव में एक ऐसे उम्मीदवार है जिनके वोट मांगने और नामांकन करने के अंदाज को देखकर सब हैरान है। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब ‘अर्थी बाबा’ Arthi Baba वोटरों से अर्थी पर बैठकर वोट मांग रहे है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया सीट पर हो रहे उपचुनाव में इस बार अर्थी बाबा उर्फ राजेश यादव एक बार फिर चुनावी दंगल में ताल ठोकने उतरे है। कुछ दिन पहले देवरिया सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए जब अर्थी बाबा Arthi Baba उर्फ राजेश यादव नामांकन पत्र भरने पहुंचे तो उनके इस अंदाज को देखकर लोग हैरान रह गए।इतना ही नहीं अर्थी बाबा जब अर्थी पर सवार होकर नामांकन पत्र भरने जा रहे थे तो उनके साथ आगे पीछे चलने वाले लोग ‘राम नाम सत्य है’ का नारा लगा रहे थे। अर्थी बाबा ‘राम नाम सत्य है’ का नारा लगाते हुए उनके समर्थक नामांकन करने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। अर्थी पर बैठे हुए थे जबकि उनके समर्थक उन्हें कंधा दे रहे थे और नारा लगा रहे थे।
लोगों को रिझाने में जुटे हुए है ‘अर्थी बाबा’
देवरिया सीट पर हो रहे उपचुनाव के नामांकन करने के बाद अब ‘अर्थी बाबा’ वोट मांगने के लिए गांव गांव पहुंच रहे है। ‘अर्थी बाबा’ जब भी वोट मांगने जाते है तो वे अर्थी पर बैठकर ही वोट मांगने के लिए गांव में पहुंचते है। इस समय बाबा गांव में घूम-घूम कर लोगों को रिझाने में जुटे हुए हैं।
थाली में पैर धोते हुए भी नजर आए
प्रत्याशी अर्थी बाबा से जब इस अर्थी पर बैठकर नामांकन करने और अर्थी पर बैठकर प्रचार करने के बारे में पूछा तो ‘अर्थी बाबा’ ने बताया कि वोटर देवतुल्य हैं इसलिए भगवान समझकर उनका पैर धो रहा हूं। वो गांवों में महिलाओं, दिव्यांगों और अन्य लोगों के थाली में पैर धोते हुए भी नजर आए।
जीवन का एकमात्र सत्य
अर्थी बाबा के नाम से मशहूर राजेश यादव देवरिया सदर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। 2008 में एमबीए कर चुके हैं। जानकारी के अनुसार अर्थी बाबा बैंकाक में एक मल्टीनेशनल कंपनी में उनकी नौकरी थी, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ कर अब वे खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने लगे। तीन भाइयों और दो बहनों में मझले हैं अर्थी बाबा। चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरना हो, चुनाव प्रचार करना हो, आंदोलन करना हो, सब अर्थी पर ही करते हैं। हर का अर्थी पर ही करने के बारे में जब उनसे लोगों ने पूछा तो उनका कहना है कि यही जीवन का एकमात्र सत्य है। इसे वो सत्य का प्रतीक मानते हैं। इसके अलावा वो घाट पर जलने वाली चिताओं की पूजा भी करते हैं।