Army Day 2022: देश आज 74वां सेना दिवस (Army Day) मना रहा है। हर साल 15 जनवरी को देश के जांबाज जवानों को सम्मानित किया जाता है। बतादें कि आर्मी डे को सेना के सभी कमान मुख्यालयों में मनाया जाता है। हालांकि, कोरोना की तीसरी लहर की वजह से इस बार आर्मी डे का आयोजन कड़े प्रोटोकॉल के बीच किया जा रहा है। ऐसे में आपके मन में अब ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर सेना दिवस 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है। क्योंकि भारतीय सेना की स्थापना तो 1 अप्रैल को हुई थी? तो चलिए जानते हैं।
इस कारण से मनाते हैं आर्मी डे
बतादें कि आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना की स्थापना 1 अप्रैल 1895 को जरूर हुई थी। लेकिन, देश की आजादी के दो साल बाद यानी 15 जनवरी 1949 को हमारी सेना को इसका पहला भारतीय प्रमुख मिला था। अंग्रजी हुकूमत ने अधिकारिक रूप से सेना को इस दिन भारत को सुपुर्द कर दिया था और आखिरी ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर की जगह भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा (Lt Gen KM Cariappa) को इंडियन आर्मी की कमान सौंपी गई थी।
देश में इस दिन को ऐतिहासिक मानते हुए हर साल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी कमांड मुख्यालयों के साथ-साथ नई दिल्ली में सेना मुख्यालय पर सेना दिवस का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर आर्मी की परेड होती है। साथ ही सेना की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को भी प्रदर्शित किया जाता है। साथ ही उन शहीदों को भी सलाम किया जाता है, जो देश की रक्षा में अपने प्राण त्याग दिए।
कौन थे केएम करियप्पा?
देश के पहले आर्मी चीफ केएम करियप्पा का जन्म कर्नाटक के कुर्ग में 1899 में हुआ था। उन्होंने महज 20 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी शरू की थी। उन्हें दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर के सम्मान से भी नवाजा गया था। गौरतलब है कि करिअप्पा ने साल 1947 के भारत पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था।
इस बार के आर्मी डे परेड में क्या था खास
आर्मी डे परेड में इस बार पहली बार मार्चिंग दस्ते इंडियन आर्मी की अलग-अलग वक्त में रही यूनीफॉर्म और हथियार के हिसाब से थी। इसी तरह पहली बार गणतंत्र दिवस परेड (republic day parade) में भी आर्मी के जो दस्ते शामिल होंगे, वो अलग-अलग दौर की यूनिफॉर्म के हिसाब से होंगे। अब तक आर्मी डे परेड और गणतंत्र दिवस परेड में आर्मी के मार्चिंग दस्ते अलग-अलग रेजिमेंट के हिसाब से बंटे रहते थे, लेकिन पहली बार ये अलग-अलग दौर की यूनिफॉर्म के हिसाब से आर्मी डे परेड में शामिल हुए थे।
एक दस्ता 1962 के दौरान की यूनीफॉर्म, एक दस्ता 1971 के बाद की यूनीफॉर्म, एक दस्ता 90 के दशक के शुरूआती दौर की यूनीफॉर्म और एक दस्ता आर्मी की मौजूदा यूनीफॉर्म में मार्च कर रहा था। वहीं एक दस्ते ने आर्मी की नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म में मार्च किया। नए यूनिफॉर्म में पैरा कमांडो ने मार्च किया।
The new combat uniform of the Indian Army was unveiled at the 'Army Day' parade, today. pic.twitter.com/2d1u8FwV9v
— ANI (@ANI) January 15, 2022
दुश्मन को धोखा देने में नई वर्दी ज्यादा सक्षम
जानकारी के अनुसार, नई वर्दी पुरानी के मुकाबले दुश्मन को बेहतर तरीके से धोखा देने में सक्षम है। इसके अलावा सेना हमेशा चाहती थी कि सेना की पोशाक अन्य अर्धसैनिक बलों की तरह न हो, वे इसे बदलना चाहते थे। दिलचस्प बात यह है कि सैनिकों को अब ड्रेस में टक-इन नहीं करना पड़ेगा। नई यूनिफॉर्म में बेल्ट ड्रेस के नीचे होगी। कुल मिलाकर कहें तो इस ड्रेस को कंफर्ट लेवल को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
सैनिक यहां से खरीद सकते हैं
इस वर्दी को बनाने में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ने मदद की है। सेना ने पिछले साल ही रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय से कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने या आतंकवाद से प्रभावित शहरी इलाकों में लड़ाकू वर्दी पहनने के खिलाफ दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। सैनिक इस नई वर्दी को अधिकृत दुकानों से खरीद सकते हैं। इसके लिए उन्हें सेना भुगतान करेगी।