दंतेवाड़ा। ज़िले में कुल 273 मतदान केंद्र बनाए गए है। इन मतदान केंद्रों में 155 मतदान केंद्र ऐसे है जो अति संवेदनशील है। इस बार सिर्फ 7 मतदान केंद्र दूसरी जगह शिफ्ट किए गए है। इन मतदान केंद्रो में अभी भी माओवादियों का साया है। निर्वाचन आयोग ने मतदान केंद्र शिफ्ट करने की मंजूरी दे दी है।
पहुरनार और चेरपाल में भी बने मतदान केंद्र
बात की जाए इंद्रावती नदी पार के माड़ क्षेत्रो के अंदरूनी गांवों की तो इंद्रावती नदी के छिन्दनार घाट में पुल बनने से इस बार पहुरनार और चेरपाल को भी मतदान केन्द्र बनाया गया है। यह ऐसे बूथ है जहां किसी दशक में बेखौफ होकर ग्रामीण मतदान करते थे।
ये मतदान केंद्र होंगे शिफ्ट
अब छिंदनार के नजदीक इंद्रावती नदी पर दो पुलों के निर्माण से यहां मतदान संभव हो सकेगा। इंद्रावती नदी पार स्थित जिन बूथों को शिफ्ट किया जाना है, उनमें हांदावाड़ा, हितावाड़ा, ठहकावाड़ा, परलनार, काऊरगांव जैसे आधा दर्जन गांवों को पाहुरनार और चेरपाल में शिफ्ट किया गया है, वहीं पहुरनार ,बड़े करका जैसे मतदान केंद्र भी है।
2018 में 21 मतदान केंद्र हुए थे शिफ्ट
तो वहीं पिछले 2018 विधानसभा चुनाव में 21 मतदान केंद्रों को अन्य जगहों कर सिफ्ट किया गया था जो अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित वाले बूथ थे। बीते 2018 के चुनावों में मतदान के समय माओवादियों ने पोलिंग पार्टी से पोलिंग पेटी लूटने , पोलिंग पार्टी पर फायरिंग करने जैसी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।
ग्रामीण इंद्रावती नदी पार करके जाते थे मतदान करने
इसके बाद से इन क्षेत्रों के मतदान केंद्रों को बंद कर दिया गया था। यहां के ग्रामीण इंद्रावती नदी के इस पार वाले गांव मूचनार और छिन्दनार में आकर मतदान करते थे। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव सभी चुनावों में ग्रामीण नक्सल दहशत के कारण नदी पार कर मतदान करने जाते रहे हैं।
मुलेर पोलिंग बूथ को ककाड़ी में शिफ्ट किया गया
इसी तरह कटेकल्याण इलाके के दूरस्थ गांव बड़े गादम के पोलिंग बूथ को कटेकल्याण के नजदीक स्थित गुड़से में और बैलाडीला पहाड़ी के दूसरी तरफ स्थित आलनार व पुरंगेल के पोलिंग बूथ को गुमियापाल में और अरनपुर इलाके के मुलेर पोलिंग बूथ को ककाड़ी में और नीलावाया के पोलिंग बूथ को अरबे में शिफ्ट किया गया है।
2018 में नक्सलियों ने किया था हमला
बता दें कि वर्ष 2018 में सलवा जुडूम के बाद नीलावाया में लोकतंत्र को बहाल कराने का प्रयास किया जा रहा था। यहां पर साल 2018 में पहली बार पोलिंग बूथ तैयार किया गया था। इस बूथ का जोर शोर से प्रचार-प्रसार भी हुआ, लेकिन चुनाव के मतदान से ठीक पहले बूथ के निरीक्षण के लिए जा रही टीम पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया।
जिसमें दूरदर्शन का कैमरामेन व जिला पुलिस के सब इंस्पेक्टर समेत 3 जवान शहीद हो गए थे। इस बार सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस बूथ को आरबे में शिफ्ट किया गया है। मतदान प्रतिशत बढाने के जिए निर्वाचन अधिकारी पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।
नक्सलियों ने किया चुनाव का बहिष्कार
तो वहीं जिन मतदान केंद्रों को शिफ्ट किया गया है उन स्थानो में माओवादियों ने खुलकर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया है। चेरपाल , तुमरीगुंडा , जैसे गांव जहां हांदावाड़ा , हितावाड़ जैसे पंचायतों को मतदान के लिए शिफ्ट किया गया है। उन गांवों में बैनर पोस्टर टांगकर माओवादी खुलकर चुनौती दे रहे हैं, अब देखना यह है चुनाव आयोग ऐसे क्षेत्रों मतदान कैसे करवाता है।
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