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Madhya Pradesh Anuppur Corruption Bribe Case, MP High Court
MP Anuppur Bribe Case, Jabalpur High Court: मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की सालरगोंदी ग्राम पंचायत में एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। यहां पंचायत प्रतिनिधियों ने विकास कार्यों के लिए आए फंड की बंदरबांट के लिए बाकायदा नोटशीट पर रिश्वत का प्रतिशत तय कर प्रस्ताव पास कर दिया। अब यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है, जहां न्यायालय ने जिला प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों से जवाब तलब किया है।
नोटशीट में तय हुआ सरपंच, उपसरपंच और पंचों का कमीशन
आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश सोनी द्वारा दायर जनहित याचिका में यह खुलासा हुआ कि पंचायत के विकास कार्यों के लिए आए फंड में से सरपंच, उपसरपंच और पंचों के लिए रिश्वत का प्रतिशत फिक्स किया गया।
एडवोकेट अंकित सक्सेना के अनुसार, इस नोटशीट में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि सरपंच को 10% कमीशन मिलेगा, वहीं उपसरपंच को 7% कमीशन दिया जाएगा। इसके अलावा, हर पंच को 5-5% की राशि मिलेगी। दिलचस्प है कि पंचायत सचिव को भी इसमें शामिल करने का दबाव डाला गया।
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MP Anuppur Corruption Bribe Case notice[/caption]
ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पास
चौंकाने वाली बात यह है कि इस भ्रष्टाचार को एक आधिकारिक नोटशीट पर दर्ज किया गया और इसे ग्राम पंचायत में पारित भी कर दिया गया। जब पंचायत सचिव ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, तो सरपंच और पंचों ने मिलकर उसका ट्रांसफर करवा दिया।
इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश सोनी ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत इस नोटशीट को प्राप्त किया और जिला प्रशासन को इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
जब जिला प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई नहीं की, तो यह मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन और पंचायत के प्रतिनिधियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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कैसे हुआ फंड में घोटाला?
दरअसल, ग्राम पंचायत को विकास कार्यों के लिए सरकारी फंड मिला। इसके बाद सरपंच, उपसरपंच और पंचों ने नोटशीट बनाकर रिश्वत का बंटवारा तय किया। नोटशीट पंचायत में पारित की गई और सचिव से अमल करने को कहा गया। जब सचिव ने इसका विरोध किया, तो उसे ट्रांसफर कर दिया गया।
लेकिन, आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश सोनी ने जब इस मामले को उजागर किया तो जिला प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। इसके बाद अब हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया और जवाब मांगा है। बता दें, यह मामला सिर्फ सालरगोंदी ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है।
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