हाइलाइट्स
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OPS पर संसद में दिया केंद्र सरकार ने जवाब
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पुरानी पेंशन बहाल करने पर सरकार का न
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कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम की उम्मीदें टूटी
Old Pension Scheme: संसद में केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS पर फिलहाल कोई विचार नहीं चल रहा है।
पुरानी पेंशन बहाल करना या न करना राज्य सरकार के हाथ में है, लेकिन संसद में केंद्र सरकार के इस जवाब से बीजेपी शासित प्रदेश में ओपीएस की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों को बड़ा झटका लग गया है। आइये समझते हैं पूरा मामला क्या है…
संसद में OPS को लेकर ये पूछा गया सवाल
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी और सोलापुर लोकसभा से कांग्रेस की सांसद प्रणीति शिंदे ने OPS (Old Pension Scheme) को लेकर लोकसभा में प्रश्न लगाया था।
प्रणीति शिंदे ने अपने सवाल में पूछा कि क्या सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू करने का विचार रखती है, यदि हां, तो 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में लगे सभी लोगों के लिए इसे कब तक लागू किए जाने की संभावना है।
ओल्ड पेंशन स्कीम पर केंद्र का ये जवाब
प्रणीति शिंदे के सवालों का जवाब लिखित रूप में केंद्र में वित्त के राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने दिया।
जवाब में कहा गया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
सामान्य शब्दों में कहें तो ये साफ हो गया है कि फिलहाल ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) बहाल होने का कोई रास्ता नहीं है।
बीजेपी शासित प्रदेश के कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी
कर्मचारियों को नई पेंशन का लाभ देना है या पुरानी पेंशन का… यह निर्णय राज्य सरकार पर निर्भर है।
फिर सवाल ये है कि OPS (Old Pension Scheme) को लेकर केंद्र का कोई निर्णय अन्य राज्यों पर कैसे असर डालेगा।
दरअसल केंद्र में बीजेपी की सरकार है। ऐसे में देश के वे राज्य जिनमें बीजेपी की सरकार हैं वहां केंद्र के निर्णय को मानने का हमेशा नैतिक दबाव रहता है और यही कारण है कि मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी शासित अन्य राज्यों के कर्मचारियों के लिये ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करवा पाना अब संभव नहीं है।
गैर भाजपा शासित प्रदेश में ओपीएस
राजस्थान: राजस्थान में पूर्व की अशोक गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल में पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) लागू की थी। यह ओपीएस को बहाल करने वाला सबसे पहला राज्य बना था।
छत्तीसगढ़: राजस्थान की तरह ही छत्तीसगढ़ में पूर्व की कांग्रेस सरकार में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने कर्मचारियों को नई और पुरानी पेंशन योजना (OPS) को चुनने का विकल्प दिया था।
झारखंड: 1 सितंबर 2022 को झारखंड कैबिनेट ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मंजूरी दी। राज्य में ओपीएस (OPS) को लागू करना हेमंत सोरेन के चुनावी वादों में शामिल था।
पंजाब: पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री भगवत मान ने नवंबर 2022 में राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू (Old Pension Scheme) करने की बात कही थी।
क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम
पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
पुरानी स्कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है।
पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता।
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।
इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है।
रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है।
पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को महंगाई राहत यानी डीआर दिए जाने का प्रावधान है।
इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है।
न्यू पेंशन स्कीम का इसलिए विरोध
न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी।
एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है।
पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है।
नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।
अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है।
अकेले एमपी का NPS में 18 हजार करोड़
न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है। यह राशि केंद्र सरकार के पास जाती है। यह योजना 1 जनवरी 2005 से लागू है।
अकेले मध्य प्रदेश की ही बात करें तो NPS खाते में 18 हजार करोड़ से अधिक की राशि जमा है।
ऐसे में यदि कोई राज्य ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करना चाहे तो अरबों रुपये के इस फंड का समायोजन करना भी बड़ी चुनौती होगा।
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कर्मचारियों के पास अब क्या रास्ता
कर्मचारी खासकर बीजेपी शासित राज्यों के कर्मचारी समय समय पर ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग उठाते रहेंगे।
लेकिन फिलहाल किसी भी बड़े आंदोलन से बचेंगे। जिन राज्यों में चुनाव नजदीक आ जाएंगे, वहां चुनाव से एक साल पहले कर्मचारी अपनी ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग को तेज कर देंगे।