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जकार्ता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कोविड-19 महामारी के बाद नियम-आधारित विश्व व्यवस्था बनाने और ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को मजबूत करने का आह्वान किया। यहां वार्षिक आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्र तथा खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
आसियान को माना जाता है प्रभावशाली समूह
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है। भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं। मोदी ने समूह के नेताओं से कहा कि भारत हिंद-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री ने आसियान को विकास का केंद्र बताया और कहा कि यह वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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21वीं सदी एशिया की सदी- पीएम मोदी
उन्होंने कहा,‘‘ 21वीं सदी एशिया की सदी है, यह हम सभी की सदी है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के बाद नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था विकसित करना और मानव कल्याण के लिए सभी का प्रयास (सबका प्रयास) हम सभी के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद होगा।’’ मोदी ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल के बावजूद ‘‘हमारे आपसी सहयोग’’ में लगातार प्रगति हुई है।
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एक्ट ईस्ट नीति केंद्रीय स्तंभ
उन्होंने कहा कि आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का केंद्रीय स्तंभ है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आसियान-भारत साझेदारी अपने चौथे दशक में प्रवेश कर गई है। उन्होंने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत पहल में आसियान का प्रमुख स्थान है।
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