चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को बताया कि अलगाववादी अमृतपाल सिंह के खिलाफ कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के प्रावधान लगाए गए हें। एक वकील ने यह दावा किया।
अलगाववादी की अदालत में पेशी का अनुरोध करने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एन. एस. शेखावत ने शनिवार को अमृतपाल सिंह के पुलिस के हाथ से निकल जाने पर पंजाब सरकार की खिंचाई की और इसे खुफिया विभाग की विफलता बताया।अधिवक्ता इमाम सिंह खारा ने अमृतपाल सिंह को पुलिस की ‘कथित’ हिरासत में से ‘रिहा’ कराने का अनुरोध करते हुए यह याचिका दायर की थी। खारा अमृतपाल सिंह और उनके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के कानूनी सलाहकार हैं। पंजाब पुलिस का कहना है कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल उनके बिछाए जाल से बच निकलने के बाद से फरार है।
उच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई के दौरान अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह भी उपस्थित थे।खारा ने दावा किया कि पुलिस ने जालंधर के शाहकोट से अमृतपाल सिंह को ‘‘गैरकानूनी तरीके से और जबरन’’ हिरासत में लिया है।अदालत में सुनवाई के बाद पत्रकारों से बातचीत में खारा ने कहा कि पंजाब के महाधिवक्ता विनोद घई ने अमृतपाल से संबंधित रिकॉर्ड उच्च न्यायालय में दाखिल किया है।खारा के अनुसार, घई ने अदालत को बताया कि इस संबंध में पांच-छह प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं। आवेदक ने आगे कहा, महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ रासुका (एनएसए) लगाया गया है।खारा ने कहा कि अमृतसर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला मजिस्ट्रेट से सिफारिश किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
हालांकि राज्य सरकार द्वारा दायर जवाब के अनुसार, पुलिस ने अमृतपाल सिंह को हिरासत में नहीं लिया है।याचिका दायर होने के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 21 मार्च के लिए नोटिस जारी किया।पुलिस ने शनिवार को अमृतपाल सिंह और ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ विस्तृत अभियान चलाया था। लेकिन अलगाववादी अमृतपाल सिंह पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा।