Amitabh Bachchan Birthday: आज सदी के महानायक अमिताभ बच्चन 82 साल के हो गए हैं। अमिताभ बच्चन का एंग्री यंग मैन वाला लुक दुनियाभर में करोड़ों लोगों के दिलों में है। अमिताभ अपने फिल्मी करियर में कई किरदार निभा चुके हैं। जंजीर के इंस्पेक्टर विजय से लेकर डॉन और शहंशाह जैसे तमाम किरदार। अमिताभ बच्चन की दीवानगी आज भी बरकरार है। बॉलीवुड के बिग-B के जन्मदिन पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ रोचक किस्से बता रहे हैं।
इंकलाब कैसे बने अमिताभ
11 अक्टूबर 1942 को मशहूर लेखक हरिवंश राय बच्चन के घर अमिताभ बच्चन का जन्म हुआ। पिता हरिवंश ने बेटे का नाम इंकलाब रखा था। इसका मतलब होता है क्रांति, बदलाव। एक दिन मशहूर लेखक सुमित्रानंदन पंत हरिवंश राय बच्चन के घर पहुंचे। जब सुमित्रानंदन को पता चला कि हरिवंश राय ने बेटे का नाम इंकलाब रखा है तो उन्होंने उनका नाम इंकलाब से बदलकर अमिताभ करा दिया। अमिताभ का मतलब अत्यंत तेजस्वी और गुणवान होता है। अमिताभ का असली सरनेम श्रीवास्तव है। उनके पिता हरिवंशराय ने अपना पेन नेम बच्चन रखा था। जो उनका सरनेम बन गया। अमिताभ ने भी बच्चन सरनेम ही लिखा।
राजीव और संजय गांधी के साथ खेला करते थे अमिताभ
अमिताभ बच्चन बचपन में राजीव गांधी और संजय गांधी के साथ खेलते थे। अमिताभ की मां तेजी बच्चन इंदिरा गांधी की करीबी दोस्त थीं। अमिताभ ने इलाहाबाद के बॉयज हाई स्कूल और नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री ली।
नौकरी करने कोलकाता गए और हो गया प्यार
1963 में अमिताभ बच्चन नौकरी की तलाश में इलाहाबाद से कोलकाता गए थे। वहां शॉ वैलेस नाम की शराब कंपनी में उन्हें क्लर्क की नौकरी मिल गई। जब वे शॉ वैलेस से निकले तो शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में काम मिला। कुछ वक्त उन्होंने ICI कंपनी में भी काम किया। यहां पर अमिताभ की मुलाकात चंद्रा नाम की एक महाराष्ट्रियन लड़की से हुई। चंद्रा अमिताभ बच्चन की जूनियर थी। उस वक्त अमिताभ को 1500 रुपए सैलरी मिलती थी। वहीं चंद्र की सैलरी 400 रुपए थी। साथ काम करते हुए अमिताभ और चंद्रा के बीच प्यार हो गया। चंद्रा अमिताभ का पहला प्यार थीं।
दिल टूटा तो मुंबई पहुंचे अमिताभ
अमिताभ बच्चन ने जब चंद्रा को शादी के लिए प्रपोज किया तो उसने साफ इनकार कर दिया। इस बात से अमिताभ का दिल बुरी तरह टूट गया। उन्होंने फौरन नौकरी छोड़ दी। अचानक नौकरी छोड़ने पर उन्हें 26 दिन की सैलरी भी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने कोलकाता भी छोड़ दिया। वे नौकरी की तलाश में सीधे मुंबई पहुंच गए।
रेडियो स्टेशन में नौकरी मांगी तो क्या मिला जवाब
अमिताभ बच्चन की जिस आवाज की आज पूरी दुनिया दीवानी है उस आवाज को रोडियो स्टेशन में नकार दिया गया था। मुंबई में अमिताभ ने नौकरी के लिए कई दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा हाथ लगी। जब अमिताभ बच्चन रेडियो स्टेशन में नौकरी मांगने पहुंचे तो अमीन सयानी ने उनका ऑडिशन लिया। अमिताभ की आवाज सुनते ही अमीन सयानी ने कहा कि तुम्हारी आवाज बहुत भारी है, लोग इसे सुनकर भाग जाएंगे।
ट्रेन में एक तस्वीर ने अमिताभ को बनाया हीरो
अमिताभ बच्चन के पिता चाहते थे कि उनका बेटा कोई अच्छी नौकरी करे, लेकिन अमिताभ को एक्टिंग में दिलचस्पी थी। अमिताभ के बड़े भाई अजिताभ अपने भाई के हीरो बनने के ख्वाब से वाकिफ थे। एक दिन अजिताभ मुंबई से दिल्ली आ रहे थे। उन्हें एक लड़के से पता चला कि ख्वाजा अब्बास अपनी फिल्म के लिए नया चेहरा ढूंढ रहे हैं। अजिताभ ने अपने बैग से अमिताभ की तस्वीर निकाली और उस लड़के को दे दी। उन्होंने कहा कि ख्वाजा अब्बास तक ये तस्वीर पहुंचा दो, साथ में कॉन्टैक्ट नंबर भी लिख दिया। जब अमिताभ की तस्वीर ख्वाजा अब्बास के पास पहुंची तो उन्होंने उन्हें मिलने बुलाया। अमिताभ उस वक्त दिल्ली में थे और वे फोन आते ही मुंबई पहुंच गए।
अमिताभ और ख्वाजा अब्बास के बीच क्या हुई बातचीत
अमिताभ बच्चन ऑडिशन देने सफेद कसा हुआ चूड़ीदार कुर्ता और नेहरू जैकेट पहनकर एक झोला लेकर ख्वाजा अब्बास के ऑफिस पहुंचे थे। जैसे ही अमिताभ ने अपना नाम बताया तो उन्होंने सवाल पूछना शुरू कर दिया।
ख्वाजा – क्या तुमने इससे पहले कभी फिल्मों में काम किया है ?
अमिताभ – जी नहीं, लोगों ने मुझे कभी फिल्मों में लिया ही नहीं।
अमिताभ ने उनके नाम बताए जिन्होंने उन्हें रिजेक्ट किया था।
ख्वाजा – उन्हें आप में क्या दिक्कत नजर आई ?
अमिताभ – उन्हें लगता था कि मैं हीरोइनों के हिसाब से काफी लंबा हूं।
ख्वाजा – हमारे साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि हमारी फिल्म में हीरोइन नहीं है। होती तब भी तुम्हें ले लेते।
अमिताभ – आप मुझे फिल्म में ले रहे हैं ? क्या वाकई आप मुझे फिल्म में ले रहे हैं ? बिना टेस्ट के ?
ख्वाजा – पहले तुम स्टोरी सुन लो फिर रोल और फीस जान लो। अगर तुम तैयार हुए तो कॉन्ट्रैक्ट साइन करेंगे।
जब ख्वाजा अब्बास को पता चला कि अमिताभ हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं तो उन्होंने पूछा क्या घर से भागकर आए हो। इस पर अमिताभ ने इनकार कर दिया कि ऐसा नहीं है।
अमिताभ को पहली फिल्म के लिए मिले 5 हजार रुपए
ख्वाजा अब्बास ने हरिवंश राय बच्चन को लेटर लिखकर पूछा कि उन्हें बेटे के फिल्मों में आने पर कोई ऐतराज तो नहीं है। इस पर हरिवंश राय बच्चन ने सहमति दी। इसके बाद ख्वाजा ने 5 हजार रुपए देकर अमिताभ को साइन कर लिया। अमिताभ बच्चन ने 15 फरवरी 1969 को फिल्म सात हिंदुस्तानी साइन की थी। ये फिल्म 7 नवंबर 1969 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।
जंजीर ने बदली अमिताभ की किस्मत
1969 से अमिताभ बच्चन का फिल्मी करियर शुरू हुआ। उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप हुईं। कुछ डायरेक्टर उन्हें साइड हीरो बना देते थे, लेकिन 1973 में आई जंजीर ने अमिताभ की किस्मत हमेशा के लिए बदल दी।
जंजीर की कहानी सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखी थी। धर्मेंद्र को ये स्क्रिप्ट इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसे खरीद लिया। इसके बाद डायरेक्टर प्रकाश मेहरा ने फिल्म समाधि की स्क्रिप्ट धर्मेंद्र को पढ़ाई। धर्मेंद्र को वो स्क्रिप्ट इतनी पसंद आई कि उन्होंने जंजीर की स्क्रिप्ट प्रकाश मेहरा को दे दी और उनसे समाधि की स्क्रिप्ट ले ली।
प्रकाश मेहरा को थी नए हीरो की तलाश
प्रकाश मेहरा ने धर्मेंद्र से जंजीर की स्क्रिप्ट ले ली। अब धर्मेंद्र समाधि की शूटिंग में बिजी हो गए थे। देवानंद ने कहा कि फिल्म में गाने कम हैं। राजकुमार ने भी व्यस्तता का हवाला दिया। एक दिन प्राण नाथ ने प्रकाश मेहरा को फोन करके कहा कि उन्हें अमिताभ को साइन करना चाहिए। उसे देखकर लगता है कि वो एक दिन स्टार बनेगा।
‘मुझे हीरो मिल गया’
अमिताभ बच्चन की 12 फिल्में फ्लॉप थीं, इसलिए प्रकाश प्राण नाथ की बात से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने प्राण के कहने पर अमिताभ की फिल्म बॉम्बे टू गोवा देखी। फिल्म देखते ही प्रकाश मेहरा चिल्ला पड़े कि मुझे हीरो मिल गया।
प्रकाश मेहरा की हुई आलोचना, अमिताभ ने क्या कहा
जब फिल्मी दुनिया में ये खबर फैली कि प्रकाश मेहरा ने जंजीर में अमिताभ को हीरो लिया है तो उनकी खूब आलोचना हुई। लोगों ने कहा कि ये फिल्म जरूर फ्लॉप होगी। इसके बाद अमिताभ ने कह दिया कि अगर ये फिल्म नहीं चली तो वे मुंबई छोड़कर अपने घर इलाहाबाद चले जाएंगे।
जया ने दिया अमिताभ का साथ
उस वक्त कोई हीरोइन अमिताभ बच्चन के साथ काम करने को राजी नहीं हुई। मुमताज ने बड़ी मुश्किल से ये फिल्म साइन की, लेकिन उन्होंने शादी करके फिल्म छोड़ दी। इसके बाद जया ने अमिताभ का साथ दिया। वे अमिताभ की अच्छी दोस्त थीं। जैसे-तैसे फिल्म बन गई, लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर मिलने बाकी थे। एक डिस्ट्रीब्यूटर ने तो प्रकाश मेहरा से पूछ लिया कि ये लंबा बेवकूफ हीरो कौन है।
5 रुपए की टिकट 100 रुपए में बिकी
11 मई 1973 को अमिताभ की जंजीर रिलीज हुई। शुरुआत में मुंबई में ये फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। ये जानकर अमिताभ को इतना धक्का लगा कि उन्हें तेज बुखार आ गया। फिल्म रिलीज होने के 4 दिन बीते थे। एक दिन प्रकाश मेहरा ने गेएटी गैलेक्सी थिएटर के बाद देखा कि टिकट विंडो पर भारी भीड़ लगी है। लोग 5 रुपए की टिकट 100 रुपए में खरीद रहे हैं। उन्होंने इससे पहले थिएटर में इतनी भीड़ कभी नहीं देखी थी।
..और एग्री यंग मैन बन गए अमिताभ बच्चन
हफ्तेभर में ही जंजीर चल पड़ी। अमिताभ बच्चन आम हीरो से स्टार बन गए। जंजीर के डायलॉग और गाने हर किसी की जुबान पर थे। अमिताभ की जंजीर ने कई अवॉर्ड जीते। अमिताभ को इस फिल्म के बाद नया टाइटल एंग्री यंग मैन मिला। इसके बाद अमिताभ कामयाबी के सफर पर निकल पड़े। एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं। आज अमिताभ बच्चन सदी के महानायक हैं।
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