नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह आज अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं। मौजूदा राजनीति में लोग उन्हें चाणक्य और चुनाव जिताऊ राजनेता मानते हैं। इसके पीछे का कारण उनकी रणनीति, संख्याओं की जुगलबंदी, सूक्ष्म स्तर पर योजना बनाना, नई प्रतिभाओं को अपने साथ ले आने की शक्ति, राजनीतिक विरोधियों को भी तोड़ने और आत्मसात करने की कला और किसी भी हाल में पार्टी का विस्तार करने की अद्भुत क्षमता है।
मोदी और शाद की जुगलबंदी
इसके अलावा अमित शाह नरेंद्र मोदी के साथ अपने करीबी संबंधों के लिए भी जाने जाते हैं। दोनों की जुगलबंदी का कोई तोड़ नहीं है। 90 के दशक से, जब बीजेपी गुजरात में मुख्य विपक्षी दल थी, तब से दोनों के बीच संबंध बहुत गहरे रहे हैं। बता दें कि उस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के संगठन सचिव थे। ऐसे में शाह ने मोदी के निर्देशन में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों का न केवल आंकड़ा जुटाया था बल्कि उसका दस्तावेजीकरण भी किया था और यही काम बीजेपी के लिए चुनावी ताकत बनकर उभरा था। इस काम से बीजेपी गुजरात के ग्रामीण स्तर तक फैल गई और 1995 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी सत्ता में आ गई। इसके बाद से पार्टी ने गुजरात में फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
छोटे स्तर से चुनाव जीतना शुरू किया
हालांकि, 1995 में बनी बीजेपी सरकार महज दो साल बाद 1997 में गिर गई , लेकिन तब तक बीजेपी कार्यकर्ताओं में अमित शाह और मोदी ने जोश भर दिया था। इसी दौरान अमित शाह ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के तौर पर दूसरा बड़ा करिश्मा कर दिखाया। उन्होंने निगम को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवा दिया। इसके बाद उन्होंने गुजरात में सहकारिता आंदोलन पर कांग्रेस की पकड़ को कमजोर किया और आंकड़ों की बाजीगरी के जरिए सहकारी बैंकों, डेयरी और कृषि बाजारों में अपनी पैठ बनाई। शाह ने सबसे पहले इन्हीं जगहों से चुनाव जीतना शुरू किया था।
मुंबई में हुआ जन्म
अमित शाह के बारे में ज्यादातर लोगों को लगता होगा कि उनका जन्म गुजरात में हुआ है। लेकिन ऐसा नहीं है, उनका जन्म 22 अक्टूबर, 1964 को मुंबई में हुआ था। वहीं उनकी पॉलिटिकल एंट्री की बात करें तो उन्होंने महज 19 साल की उम्र में एक तेज तर्रार नवयुवक के तौर पर 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। करीब ढाई साल बाद ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था और इसके अगले साल बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्य बन गए थे। पार्टी की तरफ से उन्हें पहला काम अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में नारणपुरा वार्ड की जिम्मेदारी दी थी, जहां उन्होंने अपने रणनीति से जीत दिलाई थी। इसके बाद वे युवा मोर्चा के कोषाध्यक्ष बने फिर वे राज्य सचिव बनाए गए।
पार्टी ने 1989 में शाह को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी
पार्टी ने 1989 में शाह को पहला बड़ा काम सौंपा। तब लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। इस सीट पर चुनाव प्रबंधन का काम अमित शाह के हाथ में था। इसके बाद लगातार 2009 तक अमित शाह आडवाणी के लिए गांधीनगर में चुनाव प्रबंधन करते रहे। इतना ही नहीं जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, तब भी अमित शाह ने ही चुनाव प्रबंधन का काम संभाला था।
अलग लाइफस्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं
अमित शाह अपनी अलग लाइफस्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं। विरोधियों को हमेशा अपने हाजिरजवाबी से चीत करने वाले शाह अपने ड्राइंग रूम में सावरकर और चाणक्य की तस्वीर रखते हैं और शुद्ध शाकाहारी हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव साल 1997 में लड़ा था और सरखेजा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में 25 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। एक बाद 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने इसी सीट से 1.30 लाख वोटों के भारी अंतर से बड़ी जीत दर्ज की थी। इसके बाद वे इसी सीट से 2002 और 2007 में भी चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने साल 2012 में नरनपुरा से चुनाव लड़ा और जीत दर्जी की।
2013 में केंद्रीय राजनीति में कदम रखा
साल 2013 में शाह ने केंद्रीय राजनीति में कदम रखा। यहां उन्हें पार्टी महामंत्री बनाया गया। उन्होंने देशभर में व्यापक दौरे किए और साल 2014 के चुनावों की व्यापक रणनीति बनाई। शाह ने इस दौरान सभी राज्यों में छोटे-मोटे दलों को अपने साथ किया। इस रणनीति के तहत उन्होंने पिछड़ी, अति पिछड़ी जाति के कई नेताओं को बीजेपी के साथ लाया और पार्टी को ब्राह्नणों और बनियों की पार्टी की इमेज से बाहर निकालने की कोशिश की।
भाजपा अध्यक्ष के तौर पर भी शानदार काम
इसका असर साफतौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला और पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा अध्यक्ष के तौर पर भी अमित शाह ने शानदार काम किया। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले तक पार्टी को 11 करोड़ कार्यकर्ताओं की पार्टी बनाया और मोदी सरकार की योजनाओं से लाभान्वित लोगों का डेटा जुटाकर उन्हें वोट बैंक में तब्दील कर दिया।
शाह पर गंभीर आरोप भी लगते रहे हैं
अमित शाह उन राजनेताओं में से एक हैं जिनके उपर गंभीर आरोप भी लगते रहे हैं। साल 2010 में अमित शाह को शोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में जेल भी जाना पड़ा था। कोर्ट ने तब उन्हें जमानत भी इस शर्त पर दी थी आपको गुजरात से बाहर रहना होगा। साबरमती जेल से रिहा होने पर उन्होंने कहा था कि “मैं अभी जा रहा हूं, लेकिन मुझे कम आंकने की भूल ना करें, मैं लौटकर आऊंगा।” जेल जाने के 4 साल बाद शाह गुजरात से निकल कर राष्ट्रीय पटल पर छा गए। 2014 में, भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई राज्यों के चुनाव जीते।
मंत्रालय चलाने का भी लंबा अनुभव
शाह को संगठन चलाने में माहिर माना जाता है। इसके साथ ही उन्हें मंत्रालय चलाने का भी लंबा अनुभव है। साल 1989 से अब तक अमित शाह स्थानीय निकाय को मिलाकर 29 चुनाव लड़ चुके हैं और कभी हारे नहीं है। अमित शाह अकेले एक बार गुजरात सरकार में 12 मंत्रालय संभाल चुके हैं। जिनमें गृह, न्याय, जेल, सीमा सुरक्षा, नागरिक रक्षा, आबकारी, ट्रांसपोर्ट, निषेध, होमगार्ड, ग्राम रक्षक दल, पुलिस हाउसिंग और विधायी कार्य शामिल हैं।
पार्टी को पूर्वोत्तर तक पहुंचाया
वहीं भाजपा 2016 में उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, असम विधानसभा चुनाव में भी जीत हांसिल कर चुकी है। उन्होंने पार्टी को यूपी, उत्तराखंड, गुजरात में भी भारी जीत दिलाई है। इतना ही नहीं मणिपुर जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में भी भाजपा आज उनके कारण ही पहुंची है। आज भले ही जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन माना जाता है कि अमित शाह के बिना कोई भी संगठनात्म निर्णय नहीं लिया जाता।