एंकरेज। ज्वालामुखी वैज्ञानिकों ने बुधवार को एक चेतावनी जारी की कि एक ज्वालामुखी से निकला राख का गुबार अलास्का के कोडिएक द्वीप की ओर बढ़ रहा था। अलास्का प्रायद्वीप पर 1912 में एक ज्वालामुखी ‘नोवारूपटा’ में विस्फोट हुआ था, जिस पर जमी राख तेज हवाओं के कारण फिर फैल गई है। बुधवार को कटमई नेशनल पार्क और ‘प्रिजर्व एंड वैली ऑफ टेन थाउजेंड स्मोक्स’ के आसपास के क्षेत्र में तेज उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण ज्वालामुखी की राख उड़ने लगी।
अलास्का ज्वालामुखी वेधशाला में अमेरिकी भूविज्ञान सर्वेक्षण अनुसंधान के भूभौतिकीविद् हैंस श्वाइगर ने कह, ‘‘आमतौर पर, साल के इस समय कटमई क्षेत्र से कुछ उत्तरी-पश्चिमी हवाएं नीचे की ओर आ सकती हैं और यही 1912 के विस्फोट के बाद से जमा राख को फिर से ऊंचाई तक ले गई हैं।’’ हवाओं के कोडिएक द्वीप की ओर लगभग 100 मील (161 किलोमीटर) की रफ्तार से राख ले जाने का अनुमान है। इसके मद्देनजर निचले स्तर पर विमान उड़ाने को लेकर एक विमानन चेतावनी भी जारी की गई है।
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि राख का गुबार 7,000 फीट (2,133.6 मीटर) से ऊपर नहीं जाएगा। आस-पास के समुदायों भी राख की चपेट में आ सकते हैं। ज्वालामुखी ‘नोवारूपटा’ में 20वीं सदी में सबसे बड़ा विस्फोट हुआ था, जिसे इतिहास में सबसे विशाल माना जाता है। कोडिएक द्वीप की आबादी लगभग 13,000 है और यह एक बड़ा अमेरिकी तटरक्षक अड्डा है। यहां केवल हवाई जहाज और नौकाओं द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। मछली पकड़ने का उद्योग द्वीप का प्रमुख व्यवसाय है।