Halshashthi 2025 Date Harchhat Kab Hai Shubh Muhurat: भादो का महीना 10 अगस्त रविवार से शुरू हो गया है। इसी के साथ भादो के त्योहार शुरू हो जाएंगे। इस महीने त्योहार के त्योहारों में कजरी तीज (Kajli Teej) , हल षष्ठी (Halshashthi Vrat 2024) , जन्माष्टमी (Janamashtmi 2024) आएंगे। ऐसे में यदि आप भी हलषष्ठी का व्रत रखती हैं और आप इसे लेकर कंफ्यूज हैं कि ये व्रत कब रखा जाएगा तो जानते हैं ज्योतिषाचार्य से।
कब आ रही है भादो के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार भादो के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी व्रत रखा जाता है। पञ्चमी तिथि 14 अगस्त की सुबह 04:23 बजे तक रहेगी। इसके बाद से षष्ठी तिथि लग जाएगी। जो 15 अगस्त को सुबह 2:07 मिनट तक रहेगी। यानी उदया तिथि के अनुसार हल षष्ठी 14 अगस्त गुरुवार को ही मनाई जाएगी।
कब है हलषष्ठी व्रत
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार चातुर्मास (Chaturmass 2024) के जो भी व्रत होते हैं वे मध्यान्ह व्यापनी कहलाते हैं। यानी ये सभी व्रत दोपहर में किए जाते हैं। चूंकि षष्ठी तिथि सूर्योदय के हिसाब से 14 अगस्त को आएगी।
इसलिए उदया तिथि के अनुसार ये व्रत 14 अगस्त को ही रखा जाएगा। ऐसे में यदि आप भी इस व्रत को करने वाले हैं तो इसे 14 अगस्त दिन गुरुवार को रखा जाएगा।
षष्ठी तिथि
षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 14 अगस्त को सुबह 04:23 बजे से
षष्ठी तिथि की समाप्ति: 15 अगस्त को सुबह 2:07 मिनट तक
क्यों रखा जाता है हल षष्ठी का व्रत
जिन दंपतियों के जीवन में संतान सुख नहीं है उनके लिए ये व्रत मनोकमना पूर्ति वाला साबित हो सकता है। हिन्दू धर्म ग्रंथ (Hindu Dharam Granth) के अनुसार इस दिन भगवान भोलनाथ की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
हल षष्ठी व्रत का महत्व (Hal Shashti 2024 significance)
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि हल षष्ठी व्रत (Halshashthi 2025 Date in Hindi) रखने से जीवन की सभी दुख-बाधाएं दूर होती हैं और बलराम जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
हल षष्ठी व्रत कथा
बहुत समय पहले एक गाँव में एक ग्वालिन (दूध बेचने वाली) रहती थी। उसके यहाँ एक बच्चा हुआ। गाँव में परंपरा थी कि जन्म के छह दिन बाद छठी माई की पूजा होती थी। उस दिन घर में पकवान बनते और मेहमान आते।
लेकिन उस ग्वालिन के मन में लालच आ गया। पूजा वाले दिन उसने अपने दूध-दही बेचने के बर्तन वहीं छोड़ दिए और पूजा का दूध-दही बेचने चली गई। जल्दी-जल्दी वापस आने के चक्कर में उसने खेत में हल चलाते बैलों को देखा और सोचा कि उनके बच्चे होंगे, तो वह उनसे बछड़ा चुरा लेगी और अपने घर का गाय-बैल बड़ा कर लेगी।
उसने ऐसा ही किया , एक खेत से बछड़ा उठा लिया। लेकिन छठी माई सब देख रही थीं। उन्होंने गुस्से में उसके अपने बच्चे को उठा लिया और बछड़े की जगह वहीं रख दिया।
ग्वालिन घर पहुंची तो देखा कि उसके बच्चे की जगह बछड़ा पड़ा है। वह रोने लगी और अपनी गलती समझ गई। पछताकर वह खेत में गई, छठी माई से माफी मांगी और अपना बच्चा लौटाने की विनती की।
छठी माई ने कहा, “तुमने लालच में आकर दूसरे का बच्चा चुराया, इसलिए तुम्हें ये दुख मिला। वचन दो कि आगे से कभी किसी का हक नहीं मारोगी, और हल चलाए खेत का अन्न व दूध-दही का लेन-देन छठी के दिन नहीं करोगी।”
ग्वालिन ने वचन दिया। तब छठी माई ने उसका बच्चा लौटा दिया।
तभी से हल षष्ठी के दिन माताएं हल से जुताई किए खेत का अनाज, दूध-दही, फल, अन्न आदि का सेवन नहीं करतीं और व्रत रखकर संतान की सलामती की प्रार्थना करती हैं।
हल षष्ठी व्रत की पूजा विधि
हल षष्ठी व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इसे ललही छठ या हरछठ भी कहते हैं। यह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। पूजा इस तरह की जाती है —
व्रत का संकल्प और नियम (Hal Shashthi 2025 Puja Niyam)
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सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
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व्रत का संकल्प लें — “आज मैं हल षष्ठी का व्रत संतान की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए करूंगी।”
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इस दिन हल (पहल) से जुताई किए हुए खेत का अन्न, गेहूं, चावल, दही, दूध या उससे बने पदार्थ नहीं खाते।
पूजा सामग्री (Hal Shashthi 2025 Puja Samagri)
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मिट्टी या पीली मिट्टी से बनी षष्ठी माता की प्रतिमा या चित्र
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दूध से धोए गए केले, जामुन, बेर, भैंस का दूध-दही
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बिना हल जोते खेत की फसल (धान की बालियां, मक्का, ज्वार आदि)
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फूल, दीपक, अगरबत्ती, अक्षत, रोली
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सात प्रकार के अनाज, फल, नारियल, राख
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कहानी सुनाने के लिए हल षष्ठी व्रत कथा
पूजा विधि (Hal Shashthi 2025 Puja Vidhi)
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घर के आंगन या पूजा स्थान को साफ कर लें, पवित्र पानी छिड़कें।
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एक चौकी या लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर षष्ठी माता की प्रतिमा या चित्र रखें।
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प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
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माता को बिना हल जोते खेत की फसल, फल, फूल, दूध-दही, हल्दी, चावल और मिठाई चढ़ाएं।
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व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
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कथा के बाद माता की आरती करें और प्रार्थना करें कि संतान निरोगी और सुखी रहे।
व्रत का नियम (Hal Shashthi 2025 Vrat Niyam)
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दिनभर व्रत रखें, निर्जला (बिना पानी) या फलाहार, जैसा आप कर सकें।
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हल से जोते खेत का अनाज, दूध-दही, गेंहू या चावल बिल्कुल नहीं खाना।
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व्रत अगले दिन सुबह पूजा कर फलाहार से खोलें।
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