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Allahabad HC on Abortion 2025: इलाहाबाद हाई कोर्ट- नाबालिग रेप पीड़िता को अबॉर्शन का अधिकार... सरकार उठाएगी सभी खर्च

Allahabad HC on Abortion 2025: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कौशांबी की नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देते हुए राज्य सरकार को सभी खर्च उठाने का आदेश दिया है।

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Shaurya Verma
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हाइलाइट्स

  • नाबालिग रेप पीड़िता को कोर्ट से अबॉर्शन की मंजूरी
  • इलाहाबाद हाई कोर्ट का ऐतिहासिक और मानवीय फैसला
  • राज्य सरकार उठाएगी अबॉर्शन से जुड़े सभी खर्च
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Allahabad HC on Abortion 2025: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले की एक नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात (अबॉर्शन) की अनुमति मिल गई है। यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनाया, जिसे मानवीयता और मौलिक अधिकारों को सर्वोपरि मानते हुए ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि पीड़िता के अबॉर्शन से जुड़े सभी खर्च इलाज, यात्रा और आवास राज्य सरकार वहन करेगी।

क्या है पूरा मामला?

कौशांबी जिले की एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार की घटना सामने आई थी, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई। इस मामले में 8 जून 2025 को प्राथमिकी दर्ज की गई और पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी लगाई गईं। पीड़िता के परिवार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर गर्भपात की अनुमति मांगी।

कोर्ट का हस्तक्षेप और मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट

कोर्ट ने 7 जुलाई 2025 को प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को एक विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया। बोर्ड में स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट और मनोचिकित्सक शामिल किए गए। 9 जुलाई को हुई मेडिकल जांच में रिपोर्ट सामने आई कि पीड़िता 28 सप्ताह और 5 दिन की गर्भवती है। रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भ बनाए रखना नाबालिग के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, हालांकि प्रक्रिया में जटिलताएं भी आ सकती हैं।

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कोर्ट ने कहा गर्भवती की निजता और गरिमा सर्वोपरि

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रेप पीड़िता की प्रजनन स्वतंत्रता, निजता और गरिमा उसके मौलिक अधिकार हैं। केवल गर्भ की अवधि के आधार पर अबॉर्शन से इनकार नहीं किया जा सकता, खासकर जब मामला यौन उत्पीड़न से जुड़ा हो। पीड़िता और उसके माता-पिता की स्पष्ट सहमति के आधार पर कोर्ट ने अबॉर्शन की इजाजत दी।

राज्य सरकार उठाएगी अबॉर्शन के सभी खर्च

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के CMO को आदेश दिया कि वह विशेषज्ञों की एक टीम बनाकर तीन दिन के भीतर अबॉर्शन की प्रक्रिया पूरी करें। साथ ही जिलाधिकारी (DM) को निर्देशित किया गया कि वह यह सुनिश्चित करें कि पीड़िता और उसके परिवार को किसी प्रकार की परेशानी न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि इलाज, यात्रा और आवास से जुड़ा हर खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।  

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