नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रकोप से अभी लोग उभरे भी नहीं और इसी बीच दूसरी बीमारियों ने भी डराना शुरू कर दिया। राजधानी दिल्ली में कालू फफूंद का कहर सामने आया है। यह बीमारी कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में फैल रही है। इसका नाम फंगल मुकोर्माइकोसिस यानी काली फफूंदी है और इसके संक्रमण से करीब 15 से 18 मरीज पहुंच चुके हैं।
गाराम अस्पताल में पिछले 2 हफ्तों में काली फफूंद के करीब 15 से 18 मरीज पहुंच चुके हैं। जिनमें से 5 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी में आंखों की रोशनी चली जाती है और साथ ही नाक और जबड़े भी खराब हो जाते हैं। डॉक्टरों को कहना है कि इस बीमारी में मृत्यु दर करीब 50 से अधिक हो चुकी है।
इन मरीजों को ज्यादा खतरा
अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन के मुताबिक यह बीमारी डायबिटीज का शिकार हैं या फिर लंबे समय से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं उनपर जल्दी अटैक करती है। क्योंकि इस तरह की बीमारी से मरीजों की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और काली फफूंदी हमला कर देती है। कोरोना मरीजों के साथ भी ऐसा ही होता दिखाई दे रहा है।
सामान्य तौर पर काली फफूंद के मरीजों की संख्या कम ही रहती है लेकिन कोरोना काल में इनकी संख्या बढ़ गई है। पिछले साल केवल 8 मरीज सामने आए थे, लेकिन इस बार 2 हफ्ते में ही यह संख्या 15 से 18 तक पहुंच गई है। अभी तक जो भी सामने आए हैं कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 50 साल से अधिक उम्र वाले मरीज हैं।
काली फफूंदी के लक्षण
पश्चिमी दिल्ली के रहने वाले 32 साल के एक व्यापारी में काली फफूंद पाई गई। उन्हें पिछले हफ्ते ही कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी लेकिन दो दिन बाद ही नाक का एक हिस्सा जाम हो गया। आंखों में सूजन आ गई। दवाओं का भी असर नहीं हुआ और कुछ दिन में आंखों की रोशनी कम होने लगी। चेहरे का एक हिस्सा सुन्न पड़ गया। सैंपल की जांच की गई तो काली फफूंद सामने आई। रिपोर्ट के मुताबिक मरीज के नाक और जबड़े का कुछ हिस्सा नष्ट हो चुका था। नष्ट हो चुकी कोशिकाओं को हटाया गया और 2 हफ्ते तक आईसीयू में रखने के बाद अब छुट्टी दे दी गई।