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किसानों के लिए खुशखबरी: अकोला कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की 6 फसलों की नई किस्में, गर्मी में भी मिलेगी शानदार उपज

Akola New Crop Varieties Benefit: अकोला कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित कीं फसलों की 6 नई किस्में। अब गेहूं, पीली ज्वार, चना, सोयाबीन और मूंगफली में मिलेगा अधिक उत्पादन, रोगों से सुरक्षा और गर्मी में भी उपज। महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के किसानों के लिए खास राहत।

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Shashank Kumar
New Crop Varieties Benefit

New Crop Varieties Benefit

New Crop Varieties Benefit: देश के किसानों के लिए एक बड़ी राहत और सौगात सामने आई है। महाराष्ट्र के अकोला स्थित डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय (पंदेकृवि) ने गेहूं, पीली ज्वार, चना, सोयाबीन और मूंगफली की कुल 6 नई किस्में विकसित की हैं। इनमें तीन एकदम नई किस्में हैं जबकि तीन पहले से मौजूद प्रजातियों का संशोधित रूप हैं। इन सभी को भारत सरकार की राष्ट्रीय अधिसूचना मिल गई है, जिससे अब इन किस्मों की खेती देशभर में विस्तार से की जा सकेगी।

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फसलों को मिलेगा बड़ा प्रसार

कृषि मंत्रालय की केंद्रीय फसल गुणवत्ता अधिसूचना एवं प्रसारण समिति की 93वीं बैठक में इन फसलों को अधिसूचित किया गया। ये किस्में खासकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के जलवायु के लिए उपयुक्त मानी जा रही हैं। इन नई किस्मों की खासियत यह है कि ये गर्मी में भी उपज देने में सक्षम हैं और प्रमुख रोगों से भी सुरक्षित हैं।

टिकाऊ खेती को मिलेगा बढ़ावा

गेहूं की नई किस्म (Crop Varieties) AKW-5100 अब गर्म मौसम में भी बेहतर उपज दे सकती है और ब्रेड-चपाती के लिए भी उपयुक्त है। वहीं पीली ज्वार की किस्म CSV 65 यलो जैविक पोषक तत्वों जैसे आयरन और जिंक से भरपूर है। चने की सुपर जैकी (AKG 1402) किस्म न सिर्फ मशीन से कटाई योग्य है, बल्कि 98 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

सोयाबीन की दो किस्मों पीडीकेवी अंबा और पूर्वा को अब गुजरात, असम, मेघालय और मध्य प्रदेश में भी स्वीकृति मिल गई है। मूंगफली की TAG 73 किस्म को भी गुजरात में स्वीकृति मिल चुकी है, जिसमें उच्च तेल प्रतिशत और दाना प्रतिशत देखा गया है।

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शाश्वत खेती और समृद्ध किसान हमारा लक्ष्य

इस उपलब्धि को लेकर कुलपति डॉ. शरद गडाख ने कहा, “हमारा लक्ष्य है शाश्वत खेती और समृद्ध किसान। नई किस्में किसानों को अधिक उत्पादन और अधिक मुनाफा दिलाएंगी।” इस महत्वपूर्ण शोध कार्य में डॉ. स्वाती भराड, डॉ. आर. बी. घोराडे, डॉ. अर्चना थोरात, डॉ. मनीष लाडोले और डॉ. सतीश निचल जैसे प्रमुख वैज्ञानिकों का योगदान रहा, जिन्हें विश्वविद्यालय ने विशेष रूप से सम्मानित भी किया।

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किसानों के लिए अगली हरित क्रांति

इन फसलों की सफलता देशभर में टिकाऊ और मुनाफे वाली खेती को बढ़ावा देने का काम करेगी। यह पहल खाद्य सुरक्षा, पोषण और कृषि आय को लेकर भारत को अगले स्तर पर ले जाने की ओर बड़ा कदम है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में और भी ज्यादा राज्यों में इन किस्मों का विस्तार होगा।

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