Agniveer Yojana: भारतीय सेना में लागू की गई अग्निवीर स्कीम को लेकर काफी विरोध हुआ है। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखा और दावा है कि लोगों ने जमकर इस मुद्दे के विरोध में भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है इसलिए अब अग्निपथ योजना में बदलाव हो किए जा सकते हैं।
मीडिया रिर्पोट की मानें तो इसमें अग्निवीरों के रिटेंशन परसेंट को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत किए जाने की बात बताई जा रही है।
सेनाओं पर किया गया था सर्वे
सैनिकों की सीधी भर्ती की जगह Agniveer Yojana से फौजी लेने की व्यवस्था शुरु होने के दो साल बाद अब इसमें बदलाव का एक बड़ा एजेंडा बन रहा है। सैन्य मामलों के विभाग ने 24 महीने के अनुभव पर तीनों सेनाओं में सर्वे कराया है। इसके आधार पर बदलाव के प्रस्तावों पर विचार हो रहा है।
सबसे अहम प्रस्ताव अग्निवीरों को स्थायी सेवा में लेने का कोटा बढ़ाने का है। फिलहाल 25% अग्निवीर 4 साल की सेवा के बाद फौज में शामिल हो सकते हैं। इसे बढ़ाकर 50% तक किया जा सकता है और टेक्निकल सेवाओं में ये 75% तक हो सकता है।
प्रस्ताव यह भी है कि 25% अग्निवीरों को 7 साल के लिए वापस लिया जाए। इनमें तकनीकी रूप से दक्ष अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाए।
सर्वे में सामने आईं बदलाव की वजहें
इस किए गए सर्वे में पता चला अग्निवीरों में देशसेवा की जगह करियर पर यानी 4 साल के बाद की जिंदगी पर फोकस है। अग्निपथ में शहरी युवा बढ़े हैं। इससे सेना की समावेशी प्रोफाइल प्रभावित होने की आशंका खड़ी हो रही है। अग्निवीरों में स्थायी सेवा में आने की होड़ प्रमुख है।
इससे उनके बीच एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की भावना पनप रही है। अग्निवीरों को पेंशन-ग्रेच्युटी का लाभ नहीं मिलता है। 4 साल की सेवा के बाद पूर्व सैनिक का दर्जा नहीं मिलता है। ड्यूटी पर निधन होने पर परिवार को 1 करोड़ रु. तो मिलते हैं, पर शहीद का दर्जा नहीं मिलता।
युवा साथी इन्हीं कारणों से परेशान नजर आ रहें हैं। मीडिया रिर्पोट की मानें तो इनमे बदलाव हो सकता है।
विपक्ष ने बनाया था इसे चुनावी मुद्दा
लोकसभा चुनाव में अग्निपथ बड़ा मुद्दा था। कांग्रेस-सपा ने इसे खत्म करने की घोषणा की थी। अब विपक्ष इसे संसद में उठाने की तैयारी में है। वहीं, एनडीए में शामिल जदयू भी इसमें बदलाव की मांग कर चुका है।
ऐसे में भाजपा पर इसे लेकर दबाव है। विपक्ष के साथ-साथ अब सरकार के अंग यानी NDA के अंग भी इसे लेकर बयान दे चुकें हैं।