Afzal Ansari News: सपा सांसद अफजल अंसारी की 13 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में राहत नहीं मिली। गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट द्वारा सुनाई गई चार साल कीसजा और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा पर आज (सोमवार 20 मई) को सुनवाई होनी है।
13 मई को करीब दो घंटे चली सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संजय सिंह ने अगली सुनवाई मई को तय की थी। अगर फैसला अफजल अंसारी के पक्ष में आया तो वह चुनाव लड़ सकेंगे, वर्ना उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
30 जून तक सभी मामलों का निस्तारण
मामले की सुनवाई जस्टिस संजय कुमार सिंह की बेंच कर रही है। इस मामले की सजा रद्द करने के लिए अफजल अंसारी ने हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल की है।
वहीं, इसी मामले में सरकार और कृष्णानंद राय के परियजों ने सजा बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया है। बता दें कि सभी मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट एक साथ कर रहा है। वहीं, उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक इन सभी मामलों का निस्तारण 30 जून के अंदर ही करना है।
हाई कोर्ट करेगा फैसला
माना जा रहा है कि अगर आज हाई कोर्ट से अफजल अंसारी को राहत नहीं मिलती है और उनकी सजा रद्द नहीं होती है तो वह गाजीपुर लोकसभा सीट से खुद को बाहर करके जनता से बेटी नुसरत अंसारी को वोट देने की अपील करेंगे।
इस बार अफजल की बेटी नुसरत गाजीपुर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। उनका चुनाव निशान छड़ी है। गाजीपुर सीट से नामांकन वापस लेने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
ऐसे में सपा से आधिकारिक प्रत्याशी अफजल अंसारी ही रहेंगे, लेकिन उनका परिवार और गठबंधन के नेता मतदाताओं से बेटी नुसरत अंसारी को वोट देने की अपील कर सकते हैं, लेकिन अहर अफजल की सजा रद्द हो जाती है तो वह चुनावी रण में बने रहेंगे। अब अफजल के चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने का अंतिम फैसाल इलाहाबाद हाई कोर्ट पर निर्भर करता है।
इससे पहले अफजल अंसारी की याचिका पर सुनवाई पिछले हफ्ते भी हो चुकी है। 13 मई को हुई सुनवाई में अफजल ने अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रखा था। सपा लोकसभा प्रत्याशी की तरफ से हाई कोर्ट में दलील दी गई थी कि उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय मर्डर के जिस केस को आधार बनाकर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी उस मूल मुकदमे में उन्हें ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था।
ऐसे इस मामले में भी उन्हें बरी कर दिया जाना चाहिए। गाजीपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने पिछले साल 29 अप्रैल को अफजल अंसारी को आरोपी करार देते हुए उन्हें 4 साल की सजा सुनाई थी। सजायाफ्ता होने के कारण से उनकी लोकसभा की सदस्यता निरस्त हो गई थी।
गाजीपुर कोर्ट से सजा सुनाने के बाद अफजल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वहीं, इस मामले में हाई कोर्ट ने अफजल अंसारी को जमानत तो दे दी थी, लेकिन उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई थी।
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