ओमिक्रॉन के बाद Deltacron ने फैलाई दहशत, क्या है डेल्टाक्रॉन वेरिएंट

दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामले लगातार सामने आते जा रहे है। हलांकि कोरोना के मामलों में तेजी से कमी आने के बाद से लगाई गई पाबंदियों पर ढील दे दी गई है। ऐसे में लोग आजादी के साथ घूमने लगे है। भले ही पाबंदियों पर लगाम लगा दी हो लोगों के लिए कोरोना का खत्म हो गया हो लेकिन दुनिया के कई देशों में कोरोना ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। दुनिया में ओमिक्रॉन के बाद नए वेरिएंट ने खतरा बढ़ा दिया है।
दुनिया में ओमिक्रॉन का खतरा टला नहीं की अब डेल्टाक्रॉन वेरिएंट का खतरा बढ़ने लगा है। हालांकि ओमिक्रॉन अन्य वेरिएंट की तुलना में कम घातक रहा। लेकिन अब माना जा रहा है कि नया वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक हैै। यह हाइब्रिड वेरिएंट है। इस नए वेरिएंट में डेल्टा और ओमिक्रॉन के कुछ अंश हैं। डेल्टाक्रॉन की पहचान फरवरी में हुई थी। इस वेरिएंट की खोज पेरिस के इंस्टीट्यूट पासटियूर के वैज्ञानिकों ने की थी। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका सीक्वेंस पहले के वेरिएंट के सीक्वेंस से एकदम अलग है।
डेल्टाक्रॉन के 60 से ज्यादा सीक्वेंस
खबरों कें अनुसार अमेरिका में मार्च में डेल्टाक्रॉन के हाइब्रिड सीक्वेंस का पता चला है। दुनिया के कई देशों में इसके 60 से अधिक सीक्वेंसेज खोजे जा चुके हैं। यह एक प्रकार से हाइब्रिड वेरिएंट है। जैसे की जब एक ही कोशिका को दो अलग-अलग वायरस संक्रमित करते हैं तो ऐसे में दोनों के अंश मिल जाते है। जब एक वायरस अपना जेनेटिक सीक्वेंस दूसरे वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस के साथ साझा करता है। इसी प्रक्रिया को हाइब्रिड वेरिएंट कहते हैं।
ओमिक्रॉन से बचने की जरूरत
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल अभी डेल्टाक्रॉन के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी सामने नही आई है। लेकिन डेल्टा और ओमिक्रॉन दो अलग-अलग वेरिएंट हैं और दोनों वेरिएंट का प्रभाव भी अलग-अलग है। हालांकि दोनों वेरिएंट कोशिकाओं को अलग-अलग तरीके से संक्रमित करते हैं। लेकिन अभी तक डेल्टाक्रॉन के बारे में सही जानकारी नहीं है। लेकिन यह वेरिएंट कई देशों में पाया गया है। संभावना है कि यह वेरिएंट खतरनाक साबित हो सकता हैं, लेकिन फिलहाल यूरोप में ओमिक्रॉन का प्रभाव ज्यादा है, इसलिए हमे अभी ओमिक्रॉन से बचने की जरूरत है।
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