जबलपुर। कोरोना काल के बाद आज भी कोरोना के विलक्षण समाज और रिश्तो में देखने मिल रहे हैं।। खास तौर पर सात फेरों के साथ, सात जन्मों के बंधन के रिश्ते आर्थिक स्थिति के चलते टूटने की कगार पर पहुंच गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी जो वजह सामने आ रही है वह है कोरोना काल मे अपनी रोजी रोटी खोना।
देश में कोरोना का कहर धीरे धीरे थमने लगा है वही बेरोजगारी देश की एक बड़ी समस्या है। कई जगह बेरोजगारी शादी जैसे मजबूत रिश्ते पर भी भारी पड़ रही है। जबलपुर जिले से कुछ ऐसे ही आंकड़े सामने आए हैं। जो बेहद चौंकाने वाले हैं। यहां बीते 1 साल में हुई 16 हजार शादियों में से करीब 12 हजार मामले परिवार परामर्श केंद्र पहुंचे हैं। इसमें करीब 70% मामले ऐसे हैं जिसमें तकरार की वजह बेरोजगारी है। कोरोना काल से पहले यहां कभी इक्का-दुक्का मामले ही पहुंचते थे, लेकिन इन दिनों औसतन 40 से 50 मामले पहुंच रहे हैं। जिनमें पति-पत्नी, रिश्तेदार एक दूसरे से दूर होने की कवायद में लगे हैं। कोई किसी की भावनाओं को नहीं समझ रहा है, तो कोई अपनी सास से परेशान है। किसी की बहू घंटों फोन पर बात करती है, तो अनबन पैदा हो गई है। मामूली बातों पर घरों से शुरू हुई एक छोटी अनबन इस कदर बड़ी बीमारी बन गई है कि अब रिश्ते टूट रहे हैं।
इन सब में सबसे बड़ा कारण पति की बेरोजगारी है। बेरोजगारी या तो शादी से पहले से थी या कोरोना काल में पति का रोजगार खत्म होने से लड़ाई शुरू हुई। परिवार परामर्श केंद्र मे लगातार आने वाले आंकड़े बताते हैं कि 1 साल के भीतर परिवार परामर्श केंद्र में जो आंकड़े पहुंचे वो सामाजिक चिंतन की ओर इशारा करते हैं। आंकड़ों में बीते 1 साल में 16000 शादियां जिले में दर्ज की गई और 12000 मुकदमे परिवार परामर्श केंद्र आ गए हैं। रोजाना पति-पत्नी या रिश्तेदारों के झगड़े संबंधी 40 से 50 शिकायतें आ जाती हैं।
परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी बताते हैं कि लोग समझदार तो हो गए हैं लेकिन दांपत्य जीवन की जिम्मेदारियों को नहीं समझ पा रहे हैं। आज की नई पीढ़ी भले ही पढ़ लिखी गई हो लेकिन रिश्तो को निभाने की वह समझदारी उनमे नहीं बची है और यही वजह है कि शादी के पहले सात-सात घंटों तक फोन पर बातचीत करने वाले प्रेमी जोड़े अब 7 सेकंड भी एक दूसरे की शक्ल नहीं देखना चाहते हैं।
कोरोना काल के दौरान नए रिश्तो में बंधे नए जोड़े अब टूटने की कगार पर हैं। पारिवारिक विवाद में सबसे बड़ी वजह परिवार में आर्थिक तंगी सामने आई है। कई लोगों की नौकरी और व्यापार कोरोना काल में खत्म हो गए। तो कई परिवारों की आय घटकर आधी हो गई। इसके अलावा दूसरा कारण जो सामने आया है वो है ग्रुप लोन और माइक्रो फाइनेंस। निचले तबके की महिलाएं रोजगार के उद्देश्य से छोटे-छोटे लोन ले रही हैं, लेकिन इन पैसों का उपयोग रोजगार स्थापित करने की बजाय निजी उपयोग में ले लेती हैं और जब लोन की किश्त चुकाने की बारी आती है तो पति-पत्नी में विवाद होने लगता है।
वहीं जल्द ही अगर रास्ते बेरोजगारी से रोजगार के तरफ नहीं खुले तो आने वाले समय में यह आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं साथ ही छोटी मोटी घरेलू लड़ाई बड़ा रूप भी ले सकती है।