काबुल। बीते करीब 2 महीने से अफगानिस्तान में सरकार (Afghanistan’s state power company) के बदलाव की खबरों पर पूरी दुनिया की नजर है। अब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन हो चुका है। सरकार के गठन के बाद ही तालिबान के सामने चुनौतियां आना शुरू हो गईं हैं। अब अफगानिस्तान के सामने बिजली का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अफगानिस्तान एक अंधेरी गर्त के मुंहाने पर खड़ा है। यहां किसी भी समय बिजली ठप्प हो सकती है। इसकी वजह है अफगानिस्तान द्वारा बिजली बिल का भुगतान न करना। अफगानिस्तान बिजली बिल भरने (electricity bills) की अंतिम तारीख भी पार कर चुका है। ऐसे में किसी भी समय यहां बिजली कट सकती है। इसको लेकर अफगानिस्तान सरकार भी चिंतित है। अफगानिस्तान ने यूएन से 90 मिलियन डॉलर (United Nations-led mission to give $90 million ) की मदद भी मांगी है।
बिल नहीं चुका पा रहा अफगानिस्तान
“अलजजीरा” की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के जाने के बाद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। ऐसे में वह पड़ोसी देशों को बिजली का बिल नहीं चुका पा रहा है। अफगानिस्तान करीब 78 प्रतिशत बिजली अपने पड़ोसी देशों से खरीदता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान सामान्य तौर पर 20 से 25 मिलियन डॉलर की हर महीने बिजली (Afghanistan usually pays $20 million to $25 million a month) का इस्तेमाल करता है। यह बिजली उसके पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान (Uzbekistan, Tajikistan, Turkmenistan and Iran) से खरीदी जाती है। अफगानिस्तान की ब्रेशना शेरकट कंपनी के एक्टिंग सीईओ ने मीडिया को बताया कि अफगानिस्तान पर उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान जैसे देशों का करीब 62 मिलियन डॉलर का कर्ज हो गया है। इतना ही नहीं अगस्त महीने से अब तक बिल के भरने की अंतिम तारीख भी निकल चुकी है। अगर बिल नहीं भरा गया तो अफगानिस्तान की बिजली (Afganistan Electricity sankat) किसी भी समय कट सकती है।
यूएन से मांगी मदद
तालिबान सरकार के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि हमने यूएन से 90 मिलियन डॉलर राशि देने की मांग की है। अक्टूबर माह के इस हफ्ते तक अफगानिस्तान का बिजली बिल 85 मिलियन (unpaid bills will jump to about $85 million in a week) के करीब हो सकता है। हालांकि यूएन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। अभी तक देश में किसी तरह का बिजली संकट कहीं भी देखने को नहीं मिला है। जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान की कुल 3.8 करोड़ (Afghanistan’s 38 million people) की आबादी में से केवल 38 प्रतिशत लोग ही इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करते हैं। तालिबान सरकार बिजली बिल के भुगतान के प्रयासों में जुटी है। साथ ही उन्होंने पड़ोसी देशों से बिजली नहीं काटने की अपील की है। बता दें कि अमेरिका के अफगानिस्तान से कदम खींचने के बाद से अफगानिस्तानी अर्थव्यवस्था (Afganistan Economy) की हालत बिगड़ी हुई है।
उपभोक्ताओं से बिल नहीं बसूल पा रही सरकार
सुरक्षा कारणों के कारण सरकार यहां के बिजली उपभोक्ताओं से बिल नहीं बसूल पाई है। हालांकि अफगानिस्तान में बिजली कटौती बिल्कुल आम बात है। जब अमेरिकी समर्थित सरकार अफगानिस्तान में थी तब भी बिजली की कटौती होती रही है। इसकी वजह भी तालिबान ही है। दरअसल पिछले साल तालिबानियों ने बिजली ट्रांसमिशन्स पर हमला बोल दिया था। इस कारण काबुल समेत कई शहरों में बिजली वितरण व्यवस्था काफी प्रभावित हुई थी। अफगानिस्तान को सालाना 1600 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है। इनमें से करीब 22 प्रतिशत बिजली अफगानिस्तान में लगे हाइड्रो पावर प्लांट्स, सोलर पैनल्स और फासिल फ्यूल्स से पूरी होती है। बाकी की पूरी बिजली पड़ोसी देशों से निर्यात की जाती है।