वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी बलों की व्यवस्थित एवं सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए युद्धग्रस्त देश में 1,000 और सैनिकों को भेजा है। अमेरिका ने यह मंजूरी ऐसे समय में दी है जब तालिबान अफगानिस्तान का नियंत्रण पूरी तरह से अपने हाथ में फिर से लेने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि बाइडन ने शनिवार को अपने बयान में कुल 5,000 जवानों की तैनाती को मंजूरी दी, जिसमें वे 1,000 सैनिक भी शामिल हैं, जो पहले से अफगानिस्तान में मौजूद हैं। अमेरिकी 82वीं एयरबोर्न डिवीजन से 1,000 सैनिकों की एक बटालियन को कुवैत में उनकी मूल तैनाती के बजाय काबुल भेज दिया गया था। रक्षा अधिकारी ने बताया कि पेंटागन ने पहले घोषणा की थी कि 3,000 अतिरिक्त सैनिकों को भेजा जा रहा है। बाइडन और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा दल के साथ शनिवार को वीडियो कांफ्रेंस की थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने और बलों की तैनाती की घोषणा की। इस वीडियो कांफ्रेंस में अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी नागरिकों की वापसी, एसआईवी (विशेष आव्रजक वीजा) आवेदकों को वहां से निकालने और बदल रही सुरक्षा स्थिति की निगरानी के लिए चल रहे प्रयासों पर चर्चा की गई। बाइडन ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारे राजनयिक, सैन्य और खुफिया दलों की सिफारिशों के आधार पर, मैंने लगभग 5,000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दी है ताकि हम अफगानिस्तान से अमेरिकी कर्मियों और अन्य संबद्ध कर्मियों की व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से वापसी सुनिश्चित कर सकें। साथ ही हम अपने अभियान के दौरान अपने बलों की मदद करने वाले अफगान नागरिकों और तालिबान के आगे बढ़ने के कारण जिन लोगों को विशेष रूप से खतरा है, उनकी व्यवस्थित एवं सुरक्षित निकासी सुनिश्चित कर सकें।’’बाइडन के इस बयान के कुछ ही घंटों बाद तालिबान ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया।
तालिबान कर रहा कब्जा
अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की संपूर्ण वापसी से पहले तालिबान देश पर हर ओर से कब्जा करता जा रहा है, राजधानी काबुल तेजी से अलग-थलग पड़ती जा रही है और रविवार सुबह चरमपंथी संगठन ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया जिसके कारण काबुल देश के पूर्वी हिस्से से कट गया है। काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था। अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से काबुल और छह अन्य प्रांतीय राजधानी ही बची हैं।बाइडन ने जुलाई में औपचारिक घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से वापस आ जाएंगे। वह बलों की वापसी संबंधी अपने फैसले पर दृढ़ हैं। उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें इस पर खेद नहीं है और अब समय आ गया है कि अफगानिस्तान के लोग अपने लिए लड़ें । राष्ट्रपति ने 11 सितंबर से पहले अफगानिस्तान से अपने सभी बलों की वापसी संबंधी अपनी योजनाओं में किसी भी बदलाव से इनकार किया।
युद्ध की कमान संभालनी पड़ेगी
उन्होंने कहा, मैं अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों की मौजूदगी का नेतृत्व करने वाला चौथा राष्ट्रपति हूं। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके बाद पांचवें राष्ट्रपति को भी युद्ध की कमान संभालनी पड़े। उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी की प्रक्रिया तेज करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह दूसरे देश के असैन्य संघर्ष के बीच अमेरिका की कभी समाप्त न होने वाली उपस्थिति को उचित नहीं ठहरा सकते। बाइडन ने कहा, अफगानिस्तान में हमारे देश के 20 वर्षों के युद्ध में, अमेरिका ने अपने बेहतरीन युवा पुरुषों और महिलाओं को वहां भेजा है, लगभग एक हजार अरब डॉलर का निवेश किया है, 3,00,000 से अधिक अफगान सैनिकों और पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया है, उन्हें अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों से लैस किया है और अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध के तहत उनकी वायु सेना का रखरखाव किया है।