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विज्ञापन दुनिया के दिग्गज पीयूष पांडे का निधन: ‘फेविकोल’ से ‘अब की बार मोदी सरकार’ तक याद रहेंगे आइकॉनिक कैंपेन

Piyush Pandey: भारतीय विज्ञापन इंडस्ट्री (Indian Advertising Industry) के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक पीयूष पांडे (Piyush Pandey) का गुरुवार को निधन हो गया।

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anurag dubey
विज्ञापन दुनिया के दिग्गज पीयूष पांडे का निधन: ‘फेविकोल’ से ‘अब की बार मोदी सरकार’ तक याद रहेंगे आइकॉनिक कैंपेन

Piyush Pandey: भारतीय विज्ञापन इंडस्ट्री (Indian Advertising Industry) के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक पीयूष पांडे (Piyush Pandey) का गुरुवार को निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही विज्ञापन, मीडिया और कॉर्पोरेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई। प्रसिद्ध विज्ञापन और मार्केटिंग विशेषज्ञ सुहेल सेठ (Suhel Seth) ने एक्स (X) पर दुख जताते हुए लिखा – “मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति के निधन से मैं बेहद दुखी हूं। भारत ने एक महान विज्ञापन हस्ती ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और शानदार इंसान को खो दिया है। अब जन्नत में भी गूंजेगा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा।’”

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Elderly Indian man with gray hair, mustache, and expressive eyes, dressed in a white shirt, seated against a dark textured wall with circular patterns, a lit orange lamp visible to the right, and a blurred indoor setting in the background.

ओगिल्वी में 40 साल का शानदार सफर

पीयूष पांडे ने ओगिल्वी इंडिया (Ogilvy India) में चार दशक से अधिक समय तक काम किया और भारतीय विज्ञापन को नई दिशा दी। उन्होंने 1982 में कंपनी से जुड़कर अंग्रेज़ी-प्रधान विज्ञापन उद्योग में हिंदी और भारतीय संवेदनाओं को आवाज दी। उनकी बनाई गई यादगार अभियानों में फेविकोल (Fevicol), कैडबरी (Cadbury – “कुछ खास है”), एशियन पेंट्स (Asian Paints – “हर खुशी में रंग लाए”), हच (Hutch) और सरफ एक्सेल (Surf Excel – “दाग अच्छे हैं”) जैसे विज्ञापन शामिल हैं।


‘अब की बार, मोदी सरकार’ से पहचान

पीयूष पांडे केवल विज्ञापन ही नहीं, बल्कि जनभावनाओं को समझने की कला में भी माहिर थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के 2014 के चुनावी अभियान का नारा “अब की बार, मोदी सरकार (Ab Ki Baar, Modi Sarkar)” तैयार किया था, जो पूरे देश में गूंजा और ऐतिहासिक बन गया।

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क्रिकेट से लेकर विज्ञापन तक का सफर

पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर (Jaipur) में हुआ था। नौ भाई-बहनों में से एक, वह अपने परिवार में रचनात्मकता की परंपरा का हिस्सा थे। उनके भाई प्रसून पांडे (Prasoon Pandey) मशहूर फिल्म डायरेक्टर हैं, जबकि बहन ईला अरुण (Ila Arun) एक जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री हैं। विज्ञापन जगत में आने से पहले उन्होंने क्रिकेट भी खेला और चाय चखने से लेकर निर्माण मजदूर तक का काम किया। लेकिन उन्होंने अपने जुनून और कल्पनाशक्ति से विज्ञापन की दुनिया में इतिहास रच दिया।

एक युग का अंत 

पीयूष पांडे का जाना विज्ञापन जगत के लिए एक गहरी क्षति है। उन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा और भावनाओं को विज्ञापन के केंद्र में रखा। उनके बनाए कैम्पेन आज भी लोगों की जुबान पर हैं और आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें प्रेरणा के रूप में याद रखेंगी।

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