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Aditya L1 Mission: ISRO ने रच दिया इतिहास, सूरज के नजदीक अपनी मंजिल पर पहुंचा आदित्य एल1

Aditya L1 Mission:श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

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Kalpana Madhu
Aditya L1 Mission: ISRO ने रच दिया इतिहास, सूरज के नजदीक अपनी मंजिल पर पहुंचा आदित्य एल1

Aditya L1 Mission:श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। आज यह अपने तय एल1 पॉइंट पर पहुंच गया। यहां अब यह लगभग पांच साल तक रहकर सूर्य के बारे में स्टडी करेगा।

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https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1743590881754522020

चांद पर उतरने के बाद भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। सूर्य मिशन पर निकला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का आदित्य एल-1 शनिवार शाम चार बजे अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंचने के साथ अंतिम कक्षा में स्थापित हो गया।

https://twitter.com/ANI/status/1743513856675324406

यहां आदित्य 5 वर्ष तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। भारत के इस पहले सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर को लॉन्च किया था।

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देश पर पहला सूर्य मिशन

Aditya L1 Mission भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि यह भारत का पहला सूर्य मिशन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस मिशन के लिए कड़ी मेहनत की है।

आदित्य-एल1 को एल1 कक्षा के चारों ओर की कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया शनिवार शाम लगभग 4 बजे पूरी हो गई।

5 सालों तक सौरमंडल की स्टडी करेगा आदित्य एल1

बता दें कि आदित्य एल1 अगले 5 सालों तक सौरमंडल की स्टडी करेगा। यह भारत की पहली अंतरिक्ष ऑब्जर्वेटरी है और इसको सफलतापूर्वक ऑर्बिट में पहुंचाने के लिए इसरो के वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग  कर रहे हैं।

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2023 में चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से पूरी दुनिया में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा चुका ISRO 2024 की शुरुआत में अपने सूर्य मिशन आदित्य L1 को उसकी मंजिल तक पहुंच चुका है ।

2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारत का यह पहला सूर्य मिशन लॉन्च किया गया था।

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आखिर एल1 पर ही क्यों क्यों गया है आदित्य?

सवाल ये है कि आखिर इसरो अपने सैटेलाइट को लग्रेंज पॉइंट वन या एल1 पर ही क्यों स्थापित करना चाहता है। तो इसका जवाब है कि सूरज और पृथ्वी के बीच एल1 से एल5 तक पांच लग्रेंज पॉइंट हैं।

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सीधी भाषा में समझें तो ये पॉइंट अंतरिक्ष में पार्किंग की जगह की तरह काम करते हैं। 5 खास जगहें हैं जहां एक छोटी चीज बड़े ग्रह के साथ एक स्थिर पैटर्न में घूम सकती है।

लग्रेंज पॉइंट वो जगह है जहां यह छोटी चीज दोनों खगोलीय पिंडों के साथ मिलकर चल सकती है और यहां यहां ग्रहण के छाया आने की भी संभावना नहीं होती है।

इसका मतलब है कि लग्रेंज पॉइंट पर रखे यान को अपनी जगह बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।

उत्सकुता से देख रही दुनिया

इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे सभी सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर पाएंगे।

अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा। क्योंकि, आदित्य एल-1 अपनी स्थिति में स्थित एकमात्र वेधशाला है।

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