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Aditya-L1 Mission: सूर्य नमस्कार करने निकला आदित्य-L1, फरवरी महीने में आएगी पहली तस्वीर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य के रहस्यों को दुनिया के सामने लाने के लिए अपना पहला सूर्य मिशन लॉन्च किया है।

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Bansal News
Aditya-L1 Mission: सूर्य नमस्कार करने निकला आदित्य-L1, फरवरी महीने में आएगी पहली तस्वीर

नई दिल्ली। Aditya-L1 Mission चांद पर पहुंचने की सफलता के बाद अब भारत की उड़ान सूरज दादा पर पहुंचने की ओर शुरू हो चुकी है। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य के रहस्यों को दुनिया के सामने लाने के लिए अपना पहला सूर्य मिशन लॉन्च किया है।

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चार महीनों में 15 लाख किलोमीटर की दूरी करेगा तय

आपको बताते चलें, आज भारत के पहले सूर्य मिशन की शुरूआत आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से हुई है। जहां पर सूरज पर फतह करने निकले इस अंतरिक्ष यान आदित्य को सूरज के पास पहुंचने में करीब पहुंचने में करीबन 4 महीने लग जाएगें। यहां पर यान को लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी धरती से तय करनी है।

यहां पर लोगों तक सूरज की तस्वीर पहुंचने के लिए समय लगेगा, आदित्य एल-1 का पहला पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) लक्षित ऑर्बिट में पहुंचकर रोजाना एक हजार से अधिक तस्वीरें भेजेगा, जो अध्ययन में मददगार साबित होंगे।

24 घंटे में आएगी 1440 तस्वीर

आपको बताते चलें, आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी (VELC) की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने इसे लेकर जानकारी में कहा कि, "तस्वीर चैनल की ओर से हर मिनट एक तस्वीर भेजी जाएगी यानी 24 घंटों में लगभग 1,440 तस्वीर सामने आएंगी।" जिन्हे लेकर कहा गया कि, फरवरी में पहली तस्वीर आ सकती है।

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यहां पर  190 किलोग्राम का वीईएलसी पेलोड अगले पांच सालों तक हर मिनट एक तस्वीर भेजेगा। वहीं पर VELC पेलोड, आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण रहा पेलोड है।

जानिए आदित्य-एल1 मिशन की खासियत

आपको बताते चलें, सूरज के पहले मिशन के लिए गए अंतरिक्ष यान का नाम आदित्य-एल1 मिशन (Aditya-L1 Mission) है जो पहला सौर मिशन है। इस मिशन के जरिए सूरज से जुड़े कई रहस्यों और गतिविधियों के बारे में जानकारी पता चलेगी।

इस मिशन से सूरज की बाहरी परत कोरोना,  कोरोनल मास इजेक्शन (सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट), प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियां और उनकी विशेषताएं, सौर तूफान की उत्पत्ति आदि कारकों का अध्ययन किया जाएगा।

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यहां पर एल-1 से आशय लांग्रेंजियन-1 बिंदु से है जिसमें सेटेलाइट को स्थापित करने के लिए आदित्य-एल1 (Aditya-L1 Mission) लॉन्च किया गया है। दरअसल, सोलर-अर्थ सिस्टम में कुल पांच लांग्रेज बिंदु है, जहां आदित्य एल1 जा रहा है।पृथ्वी से L1 की दूरी, सूर्य से पृथ्वी की दूरी का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा है।

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