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Aaj Ka Mudda: कांग्रेस में नेताओं की 'घर वापसी', 'नाथ' की मौजूदगी में थामा 'हाथ'

Aaj Ka Mudda: चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के लिए शनिवार का दिन बेहद खास रहा। कई बीजेपी नेताओं ने भी कांग्रेस का दामन थामा।

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Bansal News
Aaj Ka Mudda: कांग्रेस में नेताओं की 'घर वापसी', 'नाथ' की मौजूदगी में थामा 'हाथ'

Aaj Ka Mudda: चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के लिए शनिवार का दिन बेहद खास रहा। कई नेताओं की घर वापसी हुई, तो कई दिग्गज बीजेपी नेताओं ने भी कांग्रेस का दामन थामा, लेकिन कांग्रेस प्रदेश कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर, कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।

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कांग्रेस में नेताओं की 'घर वापसी'

पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, चंद्रभूषण सिंह बुंदेला, समंदर सिंह, अंशु रघुवंशी और डॉ आशीष अग्रवाल, ये वो नाम हैं जिन्होंने चुनावी साल में कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। पीसीसी चीफ कमलनाथ,प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला समेत दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में ये नेता कांग्रेस में शामिल हुए।

ऐसे तो इन नामों के दलबदल को बीजेपी के लिए बड़ा झटका और कांग्रेस की बड़ी जीत माना जा रहा है, लेकिन इस सिक्के के भी दो पहलू हैं। पीसीसी कार्यालय के बाहर लगे इस पोस्टर पर लिखा है, “सच्चे कांग्रेसियों को सजा मत दो, निर्दलियों को इस बार ना कहो” ये पोस्टर बताता है कि जितनी उम्मीदें लेकर दलबदलु नेता कांग्रेस में आए हैं, उससे ज्यादा नाराजगी इन निष्ठावान कांग्रेसियों में होगी।

नाराज नेताओं को मिलेगा टिकट?

इसी बीच वीरेंद्र रघुवंशी, काँग्रेस नेता ने काँग्रेस में शामिल होते हुए कहा, “जनसेवा, गरीब किसान की सरकार बनाने के लिए काँग्रेस का दामन थामा है, काँग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। मैं प्रदेश के सभी किसान, आदिवासी और मजदूर भाइयों से निवेदन करता हूँ, काँग्रेस ही आपकी असली हितेशी है।”

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दरअसल 2018 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके समंदर सिंह की घर वापसी हुई है। तो कुछ बीजेपी नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से उम्मीद जताई जा रही है कि इन नेताओं को कांग्रेस टिकट दे सकती है, जिससे खाटी कांग्रेसी नाखुश हैं।

इधर बीजेपी के नेता भी दलबदल को बड़ा डेंट नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि ये उन नेताओं की मंशा को बताता है।

‘चुनाव के महोल में आवागमन चलती रहती है’

ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री ने बड़ा बयान देते हुए कहा, “चुनाव के महोल में आवागमन चलती रहती है। काँग्रेस की सरकार ने वादाखिलाफी मध्य प्रदेश की जनता के हर वर्ग के साथ किया है। ये कोई साधारण बात नहीं है कि 15 महीने बाद कैबिनेट के 6 मंत्री त्याग पत्र दें। साधारण तौर पर हम देखते हैं कि चुनाव के 6 महीने या 2 महीने पहले त्याग पत्र दिया जाता है।”

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जाहिर है कि चुनाव के ऐन पहले नेताओं की पैराशूट लैंडिग, पार्टियों के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करता है। तो कहीं ना कहीं अपने ही इलाके में डेंट लगाने का काम भी करेगी। हालांकि इससे किसे फायदा और किसे नुकसान होगा, ये जानने के लिए नतीजों का इंतजार करना होगा।

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