नई दिल्ली। किसी भी नवजात के लिए सबसे फायदेमंद चीज होती है मां का दूध। लेकिन कई माताएं अपने बच्चों को लंबे समय तक दूध नहीं पिला पाती हैं, ऐसे में नवजात को कृत्रिम या गाय का दूध पिलाया जाता है। हालांकि आज के समय में टेक्नोलॉजी इस स्तर पर आगे बढ़ चुकी है कि अब नवजात को ब्रेस्ट मिल्क की कमी नहीं होगी। बायोमिल्क नाम के एक स्टार्ट-अप ने साइंस लैब में ब्रेस्ट मिल्क को तैयार करने का तरीका ईजाद किया है।
ब्रेस्ट मिल्क से मिलता-जुलता है कृत्रिम दूध
कंपनी ने महिलाओं की स्तन कोशिकाओं से दूध को तैयार करने में कामयाबी पाई है। कंपनी का कहना है कि लैब में तैयार किए गए इस दूध में काफी हद तक वे सभी पौष्टिक तत्व हैं जो आमतौर पर ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाते हैं। हालांकि कृत्रिम दूध में एंटीबॉडीज नहीं है। लेकिन फिर भी कंपनी की को-फाउंडर डॉक्टर लीला स्ट्रिकलैंड का मानना है कि एंटी बॉडी ना होने के बावजूद उनका प्रोडक्ट बाकि प्रोडक्ट के मामले में कही ज्यादा बेहतर है और ये ब्रेस्ट मिल्क से सबसे ज्यादा मिलता-जुलता है।
अगले तीन साल में बाजार में उपलब्ध होगा
कंपनी का दावा है कि उनका प्रॉडक्ट इम्युन डेवलेपमेंट, आतों की परिपक्वता, माइक्रोबायोम की आबादी और दिमाग के विकास को जिस तरीके से सपोर्ट करता है वैसा अभी तक कोई भी दूसरा प्रॉडक्ट नहीं करता है। कंपनी इस प्रॉडक्ट को अगल तीन साल में मार्केट में उपलब्ध करवा सकती है।
इस दूध को बनाने का आइडिया कहां से आया?
कृत्रिम दूध को बनाने का आइडिया वरिष्ठ सेल बायोलॉजिस्ट डॉक्टर स्ट्रिकलैंड के खुद के अनुभव से आया। दरअसल, उनका बेटा प्रीमेच्योर पैदा हुआ था, इस स्थिती में वो उसे ब्रेस्ट मिल्क मुहैया नहीं करा पा रही थीं। इसके बाद उन्होंने साल 2013 में एक लैब में स्तन कोशिकाओं को तैयार करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें सफलता दिखाई दी। इसके बाद उन्होंने साल 2019 में खाद्य वैज्ञानिक मिशेल एगर के साथ मिलकर एक स्टार्टअप की शुरूआत की। ताकि महिलाएं ब्रेस्टफीड न करवा पाने की स्थिति में अपने नवजात के लिए इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकें।