एक विदेशी महिला ने श्री प्रेमानंद महाराज से पूछा —“कृष्ण प्रेम में सबसे बड़ी बाधा क्या होती है?”
महाराज मुस्कुराए और बोले —“प्रेम शब्द ऐसा है जो सारी बाधाएं मिटा देता है।”“जहां राधा है… वहां कोई बाधा हो ही नहीं सकती।”
“अगर प्रेमी शरीर के दुख को याद रखे… तो वो प्रेमी कैसा?” ये वही प्रेम है, जहां आत्मा कृष्ण में लीन हो जाती है। जहां प्रेम है… वहां कोई दूरी नहीं रहती।
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