Vishnu Deo Sai Cabinet Expansion: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (CM Vishnu Deo Sai) ने आज अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। राजेश अग्रवाल, गजेंद्र यादव और गुरु खुशवंत साहेब (New Chhattisgarh Ministers) ने राजभवन में हिंदी में मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद तीनों मंत्रियों को दिल्ली बुलाया गया है। उनके लिए स्टेट गैरेज में विशेष वाहन भी तैयार किए गए हैं।
राजेश अग्रवाल: टीएस सिंहदेव को हराकर सुर्खियों में आए
अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल (Rajesh Agrawal BJP) एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव के बेहद करीबी माने जाते थे। लेकिन 2018 से पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। 2023 विधानसभा चुनाव में उन्होंने इतिहास रच दिया और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सिंहदेव को सिर्फ 94 वोटों से हराकर (Narrow Victory in Chhattisgarh Election) प्रदेश की सबसे चर्चित जीत दर्ज की।
व्यवसाय से राजनीति तक का सफर
स्व. चांदी राम अग्रवाल के बेटे राजेश अग्रवाल ने व्यापार में पहचान बनाई। राजनीति में आने से पहले वे वाणिज्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। भाजपा में आने के बाद उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारियां मिलीं और अंततः अंबिकापुर सीट से भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेला, जो जीत के साथ सफल रहा।
बायोडाटा – राजेश अग्रवाल
- पिता: स्व. चांदी राम अग्रवाल
- क्षेत्र: अंबिकापुर
- शिक्षा: ग्रेजुएशन
- पेशा: व्यापारी, फिर राजनेता
गजेंद्र यादव: दुर्ग से पहली बार विधायक और अब मंत्री
दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव (Gajendra Yadav BJP) ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण वोरा को लगभग 50 हजार मतों से हराकर बड़ा उलटफेर किया।
पार्षद से मंत्री तक का सफर
- अविभाजित मध्यप्रदेश के सबसे कम उम्र के पार्षद रहे।
- पांच बार पार्षद व पूर्व उपमहापौर को हराकर राजनीति में चर्चा में आए।
- स्काउट-गाइड (Scout Guide Chhattisgarh) संगठन को नई पहचान दिलाई।
- भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश सचिव और पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई।
जनता से जुड़ा हुआ नाम
पर्यावरण, यातायात सुरक्षा और सामाजिक कार्यों में गजेंद्र यादव का बड़ा योगदान रहा है। स्काउट-गाइड के माध्यम से लाखों पौधे लगवाने और हजारों बच्चों को प्रशिक्षित करने का श्रेय भी उन्हें जाता है।
बायोडाटा – गजेंद्र यादव
- पिता: बिसरा राम यादव
- जन्मतिथि: 15 जून 1978
- शिक्षा: एमए (राजनीतिक शास्त्र)
- क्षेत्र: दुर्ग
गुरु खुशवंत साहेब: सतनामी समाज से पहली बार मंत्री बने नेता
आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब (Khushwant Saheb BJP) ने अपने पहले ही चुनाव में कांग्रेस के मंत्री शिव डहरिया को 16,538 वोटों से शिकस्त दी। वे सतनामी समाज से आते हैं, जिसका प्रभाव प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर है।
परिवार से मिला राजनीतिक संस्कार
उनके पिता गुरु बालदास साहेब सतनामी समाज के धर्मगुरु और भाजपा के सक्रिय नेता रहे हैं। 2018 में कांग्रेस से मोहभंग होने पर वे भाजपा में लौट आए, जिसके बाद खुशवंत साहेब को टिकट मिला और उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की।
तकनीकी पृष्ठभूमि वाले युवा नेता
गुरु खुशवंत साहेब इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering Graduate) और पोस्ट ग्रेजुएट (Master in Turbo Machinery) हैं। उनका युवाओं और समाज पर खासा प्रभाव है।
बायोडाटा – गुरु खुशवंत साहेब
- पिता: गुरु बालदास साहेब
- जन्मतिथि: 27 मार्च 1989
- शिक्षा: बी.टेक, एम.टेक (Mechanical & Turbo Machinery)
- पद: राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय सतनाम सेना
साय मंत्रिमंडल विस्तार क्यों अहम है?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai Cabinet Expansion) 21 अगस्त को जापान और दक्षिण कोरिया की विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। इससे पहले ही मंत्रिमंडल विस्तार कर पार्टी ने बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। नए मंत्रियों को दिल्ली बुलाना यह दर्शाता है कि आने वाले दिनों में उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व से और बड़ी जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। साय मंत्रिमंडल का यह विस्तार प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बना रहा है। राजेश अग्रवाल की जीत का संघर्ष, गजेंद्र यादव का सामाजिक जुड़ाव और गुरु खुशवंत साहेब का समाजिक प्रतिनिधित्व छत्तीसगढ़ की राजनीति को नई दिशा देगा।
बीजेपी में इस फॉर्मूले की चर्चा
छत्तीसगढ़ की राजनीति में कैबिनेट विस्तार पर काफी अहम माना जा रहा है। बीजेपी संगठन सूत्रों के अनुसार, इस बार सामाजिक और भौगोलिक संतुलन को प्राथमिकता दी गई है। इनमें से एक सामान्य वर्ग, एक अनुसूचित जनजाति और एक पिछड़े वर्ग से चुना जाना था।
दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा मंत्रियों की कुर्सी सुरक्षित रहेगी और उनके विभागों में कोई फेरबदल नहीं होगा। वहीं, अगस्त महीने में संसदीय सचिवों और निगम-मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों पर भी मुहर लग सकती है। सूत्रों के अनुसार, इस बार अनुभव और युवा चेहरों का संतुलन साधने पर फोकस रहेगा। इससे बीजेपी 2028 विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत आधार देना चाहती है।