Chhattisgarh (CG) Electricity Bill Hike: छत्तीसगढ़ के 65 लाख बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बार फिर से महंगे बिजली बिल की चुनौती सामने है। जहां एक ओर नए टैरिफ को लेकर राज्य विद्युत नियामक आयोग का फैसला आना बाकी है, वहीं दूसरी ओर मई के बिल में उपभोक्ताओं को पहले से ही झटका लग चुका है। दरअसल, इस बार बिजली बिल में फ्यूल पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) को फिर से लागू किया गया है, जो पिछले महीने माइनस में चला गया था।
अप्रैल में मिली थी राहत, मई में फिर लगा सरचार्ज
अप्रैल महीने के बिल में उपभोक्ताओं (CG Electricity Bill Hike) को पहली बार एफपीपीएएस शुल्क नहीं देना पड़ा था, जिसकी वजह एनटीपीसी लारा से ली गई बिजली की पुरानी देनदारी का समाप्त होना था। उस समय उपभोक्ताओं को करीब 12.61% तक की राहत मिली थी। लेकिन अब मई महीने के बिल में यह राहत खत्म हो चुकी है और 7.32% एफपीपीएएस शुल्क के हिसाब से राशि फिर से जोड़ी जा रही है।
यह सरचार्ज अप्रैल में की गई बिजली खपत पर लगाया गया है, जिसका असर अब जून में आने वाले बिलों पर पड़ रहा है। ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में यह सरचार्ज घट भी सकता है और बढ़ भी सकता है, क्योंकि यह उत्पादन लागत में अंतर पर आधारित होता है।

वीसीए की जगह FPPAS फॉर्मूला लागू
राज्य सरकार द्वारा पहले लगाए जाने वाले वेरिएबल कॉस्ट एडजस्टमेंट (VCA) की जगह अब एफपीपीएएस फॉर्मूला को लागू किया गया है, जो सीधे तौर पर बिजली की उत्पादन (CG Electricity Bill Hike) लागत के आधार पर तय होता है। यह फॉर्मूला पहली बार अप्रैल 2023 में लागू किया गया था और तब से उपभोक्ताओं को हर महीने इसके तहत शुल्क चुकाना पड़ रहा है।
हालांकि अप्रैल 2024 में पहली बार ऐसा हुआ जब उपभोक्ताओं को एफपीपीएएस शुल्क से राहत मिली थी, लेकिन यह राहत टिक नहीं पाई। उत्पादन लागत में बदलाव होते ही यह शुल्क फिर से लागू हो गया है और आगे भी जब तक लागत में अंतर रहेगा, तब तक एफपीपीएएस उपभोक्ताओं की जेब पर असर डालता रहेगा।
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टैरिफ में भी बढ़ोतरी तय
पॉवर कंपनी ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग को आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नया टैरिफ प्रस्ताव सौंपा है। इसमें कंपनी ने अनुमानित बताया है कि वह 24,652 करोड़ की बिजली की बिक्री करेगी, जबकि खर्च 23,082 करोड़ तक सीमित रहेगा। इस हिसाब से कंपनी को 1,570 करोड़ का लाभ होता दिख रहा है।
लेकिन पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो 2023-24 में पॉवर कंपनी को 6,130 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। अगर प्रस्तावित लाभ को इसमें से घटा दिया जाए तो कुल 4,560 करोड़ रुपए का अंतर बनता है, जिसे पाटने के लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग की गई है। हालांकि अंतिम फैसला विद्युत नियामक आयोग करेगा, लेकिन संकेत यही हैं कि आने वाले महीनों में टैरिफ में भी बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
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