CG School Rationalisation: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्यभर में 10,000 से अधिक स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करने का बड़ा फैसला लिया है। इस निर्णय के पीछे सरकार की दलील है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी और शिक्षकों का सही बंटवारा हो पाएगा। लेकिन शिक्षक इसे सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की साज़िश (Weakening Government Schools) बता रहे हैं।
सरकार के इस फैसले के विरोध में आज (बुधवार) दोपहर को 10,000 से अधिक शिक्षक (Teachers Protest) राजधानी रायपुर में मंत्रालय का घेराव करेंगे। उनका आरोप है कि युक्तियुक्तकरण से करीब 43,000 शिक्षकीय पद (Teaching Posts) खत्म हो सकते हैं।
क्या होता है समायोजन?
युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) का अर्थ है, संसाधनों और मानवबल को एक सिस्टम के तहत मर्ज कर, खर्च और संरचना को सुव्यवस्थित करना। जैसे अगर किसी शहर में एक ही संस्था के दो ऑफिस हैं, तो उसे एक में मर्ज कर देना। इससे कंपनी के खर्च घटते हैं, लेकिन कर्मचारियों पर वर्क लोड बढ़ता है और नौकरियां प्रभावित (Job Loss) होती हैं।
सरकार भी इस प्रक्रिया में कुछ शिक्षकों को सरप्लस दिखाकर उनका ट्रांसफर या पद समाप्त कर सकती है।

शिक्षकों के अनुसार यह फैसला गलत दिशा में कदम
शिक्षकों का कहना है कि 2 शिक्षकों से 18 क्लासेस चलवाना संभव नहीं है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ बताया है।
सरकार की दलील- बेहतर बंटवारा और कम खर्च
राज्य सरकार के मुताबिक, वर्तमान में कई स्कूलों में शिक्षक जरूरत से ज्यादा हैं, जबकि कुछ स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। उदाहरण के लिए —
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6,872 प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक हैं।
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212 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है।
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13,149 प्री-मिडिल स्कूलों में 255 स्कूलों में एक ही शिक्षक है, जबकि 48 में एक भी नहीं।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 (National Education Policy 2020) के अनुसार, एक शिक्षक पर 30 छात्रों से अधिक नहीं होने चाहिए। लेकिन छत्तीसगढ़ में औसतन 22 से 26 छात्रों पर एक शिक्षक हैं, यानी इस लिहाज से राज्य की स्थिति ठीक है।
भर्ती का दबाव कम करने की रणनीति?
सरकार के इस कदम को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को टालने की चाल (Delaying Recruitment Strategy) मान रहे हैं। यदि वर्तमान स्थिति को देखें तो राज्य को 12,832 शिक्षकों की ज़रूरत है। लेकिन युक्तियुक्तकरण के बाद यह आंकड़ा घटकर 5,370 रह जाएगा।
वहीं, कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को मर्ज कर भर्ती की ज़रूरत और भी घटाई जा सकती है। इससे सरकार पर भर्ती का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा।
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