UP Jalaun Noon River, Bundelkhand News: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में किसानों की उम्मीदों की डोर फिर से जुड़ गई है। सालों पहले सूख चुकी ‘नून नदी’ एक बार फिर से जिंदा हो चुकी है। यह वही नदी है जो एक समय हजारों किसानों की फसलों को जीवन देती थी, लेकिन अतिक्रमण और बारिश की कमी के कारण पूरी तरह खत्म हो गई थी। अब, चार साल की अथक सामूहिक मेहनत के बाद इस 81 किलोमीटर लंबी नदी को फिर से जीवंत कर दिया गया है और अगले 15 दिनों में इसमें पानी बहना शुरू हो जाएगा।
अब मिलेगा 2780 एकड़ खेतों को पानी
नून नदी (Jalaun Noon River) जालौन जिले के 47 गांवों से होकर बहती है और आगे चलकर यमुना में मिल जाती है। इस नदी की वापसी से लगभग 2780 एकड़ खेतों को सिंचाई का पानी मिलेगा। इससे 15,000 से अधिक किसानों को फायदा होगा। पशुओं के लिए भी अब जल स्रोत उपलब्ध होगा और नदी किनारे फिर से हरियाली लौटेगी। सूखे में दर-दर भटकते मवेशियों के लिए यह नदी फिर से जीवनदायिनी बनेगी।
लोकल कम्युनिटी ने खुद उठाया बीड़ा
इस परिवर्तन की सबसे बड़ी बात यह है कि यह किसी सरकारी योजना से नहीं बल्कि स्थानीय लोगों की सामूहिक पहल से संभव हो सका है। 2021 में इस नदी को पुनर्जीवित करने का काम शुरू हुआ, जिसमें हजारों ग्रामीणों, महिलाओं और पुरुषों ने इच्छा से मजदूरी करके हिस्सा लिया। नदी के बेसिन की मरम्मत की गई, 14 किलोमीटर तक मिट्टी की सफाई और गहराई का काम किया गया, जिससे पानी फिर से उसमें बह सके।
पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में किया था जिक्र
इस नदी (Jalaun Noon River) के पुनर्जीवन की गूंज देश के प्रधानमंत्री तक भी पहुंची थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जालौन की नून नदी का जिक्र करते हुए कहा था कि “बुंदेलखंड के लोग जल्द एक चमत्कार करेंगे।” और आज वही भविष्यवाणी सच साबित हो रही है। नदी में पानी लौटने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और अगले कुछ ही दिनों में यह पूरी तरह बहने लगेगी।
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सबक भी सिखा गई नून नदी की कहानी
नून नदी की यह कहानी न केवल प्रेरणा है बल्कि सबक भी है। कैसे अतिक्रमण और लापरवाही एक नदी को पूरी तरह खत्म कर सकते हैं, और कैसे लोगों की जागरूकता और प्रयास उसे दोबारा जिंदा कर सकते हैं। जालौन के लोगों ने यह समझा कि प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ करना भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है, और उसी चेतना से इस नदी को फिर जीवन मिला।
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