Morena Hospital Fire: बुधवार शाम को मुरैना जिला अस्पताल में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में स्थित मुख्य ऑपरेशन थिएटर, बर्न यूनिट और सर्जिकल वार्ड में अचानक भीषण आग लग गई। यह हादसा करीब शाम 6 बजे हुआ, जब अस्पताल में लगभग 200 से ज्यादा मरीज भर्ती थे।
भगदड़ में मरीजों ने खुद को बचाया
आग लगते ही पास की गैलरी और वार्डों में धुआं फैल गया। अस्पताल स्टाफ और अटेंडर तुरंत हरकत में आए और मरीजों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। कुछ मरीज खुद अपनी ड्रिप हटाकर बाहर निकले, तो कुछ को अटेंडरों ने कंधों पर उठाकर बाहर लाया। एक मरीज को घिसटते हुए बाहर आते देखा गया, जो इस हादसे की भयावहता को बयां करता है।
ऑक्सीजन सपोर्ट छूटते ही गई जान

हादसे (Morena Hospital Fire) में छोदा गांव निवासी वीरेंद्र करेड़ा (50) की मौत हो गई। उन्हें बुधवार सुबह सांस लेने में तकलीफ के चलते भर्ती कराया गया था और उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। आग लगने पर परिजन उन्हें कंधे पर उठाकर बाहर लाए, लेकिन जल्दबाजी में ऑक्सीजन मास्क निकल गया। बाहर लाने के करीब आधे घंटे बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों का आरोप: कोई गाइडलाइन नहीं मिली
मृतक वीरेंद्र के पोते नीरज ने बताया, “नर्स ने बस इतना कहा कि भागो-भागो, आग लग गई। कोई ऑक्सीजन या जीवन रक्षक उपकरण निकालने की बात नहीं हुई। हम जैसे-तैसे बाबा को उठाकर बाहर लाए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
इसी तरह, तालपुरा निवासी सुनीता ने बताया कि उसका बेटा अस्पताल में भर्ती था और जब सभी भाग गए, वो अंदर ही छूट गया। बाद में कुछ लोग लौटे और उसे बाहर लाए।
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फायर सिस्टम फेल, सायरन नहीं बजा
हादसे के दौरान अस्पताल का फायर सेफ्टी सिस्टम पूरी तरह फेल रहा। न तो सायरन बजा, न ही अलार्म सिस्टम एक्टिव हुआ। अस्पताल में दमकल वाहन तो पहुंचा, लेकिन वह अंदर तक नहीं जा सका। हालांकि, स्टाफ ने स्थानीय संसाधनों से आग पर काबू पा लिया।
सिविल सर्जन बोले – शॉर्ट सर्किट से लगी आग
सिविल सर्जन डॉ. गजेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि आग लगने की वजह ओवरलोड के चलते हुए शॉर्ट सर्किट को माना जा रहा है। पहले स्पार्किंग हुई और फिर आग ने विकराल रूप ले लिया। “आग पर काबू पा लिया गया है और अब सभी मरीज सुरक्षित हैं,” उन्होंने कहा। एसडीएम भूपेंद्र सिंह और सीएसपी दीपाली चंदोरिया ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया।