MP SC Reservation High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के जरिए संपूर्ण प्रदेश के कुम्हार और रजक जाति वालों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग की गई है।
हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद इस सिलसिले में राज्य शासन, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग व मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया गया है।
जनहित याचिका में दलील
जबलपुर के जनहित याचिकाकर्ता राकेश कुमार चक्रवर्ती और लक्ष्मण रजक की ओर से अधिवक्ता एसके कश्यप ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि रजक समाज को प्रदेश के भोपाल, रायसेन और सीहोर में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है।
इसी तरह कुम्हार जाति को सतना, रीवा, टीकमगढ़, पन्ना, शहडोल, सीधी, दतिया सहित 8 जिलों में अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में इन जातियों को पिछड़ा वर्ग में रखा गया है।
ये खबर भी पढ़ें: डीजे-लाउड स्पीकर पर प्रतिबंध: इंदौर कलेक्टर ने परीक्षा को लेकर जारी किए आदेश, गाइडलाइन जारी
अलग-अलग जिलों में अलग-अलग कैटेगरी क्यों ?
अधिवक्ता एसके कश्यप ने दलील दी कि प्रदेश में एक ही जाति के लोगों को अलग-अलग जिलों में अलग-अलग जाति में रखा गया है, जो सामान्य के अधिकार के विपरीत है। इसलिए जनहित याचिका में राहत चाही गई है कि पूरे प्रदेश में कुम्हार और रजक जाति को अनुसूचित जाति में रखा जाए। क्योंकि ऐसा नहीं किया जा रहा है, अत: व्यापक जनहित में हाईकोर्ट की शरण ली गई है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- आंगनबाड़ी सहायिकाओं को भर्ती से वंचित क्यों रखा ?
MP Anganwadi Supervisor Bharti: मध्यप्रदेश में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा 2024 को लेकर हाईकोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग और कर्मचारी चयन को नोटिस थमाया है। हाईकोर्ट ने पूछा कि आंगनवाड़ी सुपरवाइजर के पद पर भर्ती के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को योग्य माना है तो सहायिकाओं को वंचित क्यों रखा जा रहा है ? पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…