CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले में अब तीन आईएएस अधिकारियों का नाम भी सामने आया है।
एसीबी-ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) ने इन अधिकारियों को समन भेजकर उनसे पूछताछ करने के लिए तलब किया है। इसके अलावा, मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता के भी साक्ष्य मिले हैं।
जानकारी के अनुसार, एसीबी-ईओडब्ल्यू ने आईएएस अधिकारी भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और सीजीएमएससी की एमडी पद्मिनी भोई को पूछताछ के लिए बुलाया है।
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मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर 6 दिन की रिमांड पर
साथ ही, एसीबी-ईओडब्ल्यू ने एक सप्ताह पहले इस घोटाले में मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर रिमांड में लिया था।
आज उसकी पुलिस रिमांड समाप्त होने के बाद उसे ईओडब्ल्यू की विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उसे छह दिन की और पुलिस रिमांड पर ईओडब्ल्यू को सौंप दिया। शशांक चोपड़ा को 10 फरवरी को फिर से कोर्ट में पेश किया जाएगा।
अब तक का सबसे बड़ा दवा खरीद घोटाला माना जा रहा
जांच एजेंसी ने दवा खरीद घोटाले में प्रदेश के एक बड़े सप्लायर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया है, और उससे पूछताछ के बाद कई नए तथ्य सामने आए हैं। यह घोटाला अब तक का सबसे बड़ा दवा खरीद घोटाला माना जा रहा है, जिसकी राशि 400 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
बता दें कि सीजीएमएससी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी जांच की जा सकती है। ईओडब्ल्यू-एसीबी की एफआईआर में यह भी बताया गया है कि सीजीएमएससी ने शासन की अनुमति के बिना लगभग 411 करोड़ रुपये की खरीदी की। इसमें से रीएजेंट्स को बिना वास्तविक आवश्यकता के और बिना प्रशासनिक अनुमोदन के खरीदा गया।
अधिक कीमत पर खरीदी गई EDTA ट्यूब
जांच में यह सामने आया कि मोक्षित कारपोरेशन से खरीदी गई EDTA ट्यूब की कीमत 2352 रुपये प्रति यूनिट थी, जबकि अन्य संस्थाएं इसे केवल 8.50 रुपये प्रति यूनिट में खरीद रही थीं।
इसके अलावा, सीजीएमएससी ने बिना किसी मांग के 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट्स को 200 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेज दिया, जहां उन उपकरणों का उपयोग ही नहीं हो सकता था।
इसके अलावा, इन रिएजेंट्स की एक्सपायरी डेट भी बहुत कम थी, और इन्हें सुरक्षित रखने के लिए 600 फ्रिज खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई।
5 लाख रुपये की मशीन 17 लाख में खरीदने का आरोप
एफआईआर के अनुसार, सीजीएमएससी ने मोक्षित कारपोरेशन से 17 लाख रुपये में सीबीसी मशीन खरीदी, जबकि इसी मशीन को निर्माता कंपनियां खुले बाजार में 5 लाख रुपये में बेचती हैं। यह भी सामने आया कि मोक्षित कारपोरेशन ने केमिकल्स और रिएजेंट्स को अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक कीमत पर बेचा और शासन के साथ लगभग 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी
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