Atal Bihari Vajpayee: कुछ स्मृतियां मानस-पटल पर बंदी बनकर ठहर जाती हैं। साल 96 के मार्च महीने का वह दिन जब सदन में विश्वास-प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Jee) को संबोधित करना था, जहन में आज भी कैद हैं। उन दिनों एक युवा के तौर पर मेरे सपने आकार ले रहे थे। कभी राजनीति के रास्ते राष्ट्र-निर्माण के अभियान में मेरी भी कोई भूमिका होगी, यह विचार दूर-दूर तक भी नहीं था। दूसरे मध्यवर्गीय परिवारों की तरह परिवार का सपना था, कि मैं भी बड़ा होकर चिकित्सक बनूं, लेकिन माया, इंडिया-टुडे, आउट-लुक आदि-आदि पत्रिकाओं और आधा दर्जन घर आ जाने वाले हिन्दी-अंग्रेजी अखबारों ने कब अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Jee) जैसे नेता को ‘हमारा हीरो’ बना दिया, पता ही नहीं चला।
25 जनवरी 1987 का अटल जी का भाषण
1987 में 25 जनवरी से रविवार के रोज रामानंद सागर के ऐतिहासिक सीरियल रामायण के प्रसारण की शुरुआत हुई थी। इसी बहाने कुछ सक्षम परिवारों में टीवी-बॉक्स ने प्रवेश कर लिया था। बाद में, महाभारत ने टेलीविजन सेट को ही परिवारों का स्टेटस सिंबल बना दिया। उस दौर में छोटे कस्बों में बिजली की आंख-मिचौली अक्सर जारी रहती थी। ऐसे में चार्ज होने वाली बैटरी से चलने वाले ब्लैक-एंड-व्हाइट टीवी बॉक्स ज्यादा मायने रखते थे। याद है कि जिस दिन विश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी और अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Jee) को संबोधित करना था, उस रोज अचानक लाइट कट गई। अपनी बदहवासी आज भी मुझे याद है। जब मैं तकरीबन ढाई किलोमीटर दौड़ते हुए ऐसे घर में पहुंचा जहां मुझे विश्वास था कि वहां बैटरी वाला टीवी जरूर चल रहा होगा। बरगद के पेड़ के नीचे खड़े होकर सुना गया अटल जी के भाषण का एक हिस्सा बाद में मेरी डायरी का हिस्सा भी बना और आज लगता है कि पत्रकारिता की कंदराओं से निकालकर राजनीति की पगडंडियों पर मुझे ले जाने में उन पंक्तियों का भी योगदान रहा।
अटल जी की 13 दिन की सरकार ने वर्तमान की नींव रखी
साल 1996 में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने शिवसेना, समता पार्टी, हरियाणा विकास पार्टी और अकाली दल के साथ मिलकर 194 सीटों पर कब्जा किया था। अकेले भाजपा, 161 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी। लिहाजा तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा जी ने अटल जी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इसी के साथ अटल जी के नेतृत्व में हिंदुस्तान में पहली बार राष्ट्रवादी सरकार का गठन हुआ। हालांकि, यह पहली सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रही, लेकिन इसी इतिहास ने आज के वर्तमान की नींव रखी। मुझ जैसे लाखों होंगे जिन्हें आज भी विश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया गया वह भाषण याद होगा, जिसमें उन्होंने कहा था, “इस सदन में कई ऐसे दल हैं जिनके सदस्यों की संख्या एक ही है, और वह भाजपा को हटाना चाहते हैं। भाजपा वह पार्टी नहीं है, जिसको कुकुरमुत्ते की तरह उखाड़ फेंका जाए, आज वह जिस स्थिति में है वहां तक पहुंचने के लिए इसने चालीस साल तक जनता के बीच काम किया है। मुझ पर यह आरोप लगाए गए हैं कि मैं सत्ता का भूखा हूं और येन-केन-प्रकारेण सत्ता में बने रहना चाहता हूं। लेकिन मैं इससे पहले भी सत्ता में रहा हूं और मैंने सत्ता में बने रहने के लिए कोई अनैतिक काम नहीं किया है। अगर राजनीतिक दलों को तोड़ना ही सत्ता में बने रहने और गठबंधन बनाने का एकमात्र तरीका है, तो ऐसे गठबंधन को मैं चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा।”
‘हम तब तक विश्राम नहीं करेंगे…’
करोड़ों-करोड़ दिलों तक सीधे पहुंच रहे अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Jee) ने अपने संबोधन में बिना किसी लाग-लपेट के यह भी कहा था कि “हम मजबूत गठबंधन के आगे सिर नवाते हैं। लेकिन यह भरोसा दिलाते हैं कि हम तब तक विश्राम नहीं करेंगे, जब तक राष्ट्रहित में जो काम हमने शुरू किया है उसको खत्म न करें।”
‘मजबूत नींव के पत्थर पर खड़ी है भाजपा’
उसके बाद का वक्त तो इतिहास है कि कैसे 13 दिनों में खेत रहा एक सियासी योद्धा फिर से उभरा और नेहरू जी के तीन बार प्रधानमंत्री बनने के इतिहास को दोहरा डाला। मौजूदा नरेन्द्र मोदी जी की हमारी सरकार उसी खड़ाऊं को लेकर आगे बढ़ रही है। राम-मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर समस्या का हल, दुनिया भर में भारत की महत्ता, गरीब-किसान-युवा-महिलाओं की तरक्की के लिए हुए अनगिनत काम; मुस्लिम महिलाओं के तीन-तलाक के भय से राहत सरीखे अनगिनत असंभव से दिखते काम अगर संभव हुए तो उसके पीछे मजबूत नींव के पत्थर रहे, जिन पर आज की भाजपा खड़ी हुई है और देश-परिवर्तन के अभियान में जुटी है।
ग्वालियर में हुआ था अटल जी का जन्म
अटल जी, 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में पैदा हुए थे। यह साल उनकी जन्मशती (Birth Centenary) का साल है। कृतज्ञ राष्ट्र जानता है कि कवि, शिक्षक पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी से मिले राष्ट्रवाद के अगर ‘अटल-सपने’ नहीं होते, तो आज की भारत की मौजूदा तस्वीर भी ऐसी नहीं होती।
अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Jee) ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपने दायित्व काल में कई कालजयी फैसले किए। 1998 का परमाणु परीक्षण एक ऐसा ही फैसला था जिसके लिए किसी दृढ़ व्यक्तित्व की जरूरत थी। अकेले एक इस बड़े फैसले ने भारत को दुनिया में परमाणु-शक्ति सम्पन्न राष्ट्र की प्रतिष्ठा दिला दी। परीक्षण के बाद दुनिया की शक्तियों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर हमारी तरक्की को घेरना चाहा, मगर बंदिश की चुनौतियों का सामना अटल जी की सरकार ने बड़ी कुशलता से किया।
अटल जी ने शुरू की थी लाहौर बस सेवा
अटल जी कहा करते थे कि हम मित्र बदल सकते हैं, मगर पड़ोसी नहीं। 1999 की अटल जी की लाहौर-बस-यात्रा एक ऐसा उपक्रम था, जिसके जरिये तनाव को कम या खत्म कर, दोनों देश तरक्की की राह पर आगे बढ़ने की चिंता कर सकते थे, लेकिन वो शक्तियां जो अशांत माहौल को जीना चाहती हैं, ने भारत पर कारगिल युद्ध थोप दिया। अटल जी के नेतृत्व में इस युद्ध से भी कायदे से निपटा गया। भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार दी और उनके शांतिपूर्ण प्रयासों ने यह भी सुनिश्चित किया कि भारत का रुख अंतरराष्ट्रीय मंच पर गरिमा और मजबूती से रखा जाए।
अटल जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिया था हिंदी में भाषण
साल 1977 में विदेश मंत्री के तौर पर अटल जी का संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया भाषण, करोड़ों भारतीयों और भारतवंशियों के लिए गर्व से मस्तक उठाने का वक्त था। यह भाषण हिंदुस्तान की गरिमा और सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने वाला साबित हुआ। प्रधानमंत्री के तौर पर अपने दायित्व काल में अटल जी ने किसानों की मुश्किलों को दूर करने की कोशिश की, युवाओं के लिए रोजगार और महिलाओं के अधिकार… आपकी चिंता के विषय थे। अटल जी के ही नेतृत्व में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना जैसी परियोजनाएँ शुरू हुईं, जिसने भारत में आधुनिक सड़क नेटवर्क की आधार शिला रखी।
अटल जी की याद में राष्ट्र निर्माण के अभियान में जुटें
इस साल जब देश अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Jee) की 100वीं जयंती मना रहा है तो उनके जीवन-मूल्यों को आत्मसात करने और अपने कर्मक्षेत्र में उत्कृष्टता लाने का संकल्प, वाजपेयी जी के लिए अमूल्य उपहार होगा।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हिंदुस्तान ने 2047 तक विकसित राष्ट्र होने का संकल्प लिया है। यह इरादा तभी हकीकत बनेगा, जब हम सभी अपने-अपने हिस्से की आहुति पूरी गंभीरता से करें। तो आइये अटल बिहारी वाजपेयी जी को याद करते हुए राष्ट्र निर्माण के अभियान में आज से ही जुट जाते हैं।